दुर्गा महोत्सव आज से शुरू, मूर्ति स्थापना के साथ होगी आराधना

देहरादून। दुर्गा महोत्सव उल्लास और भक्तिभाव के साथ आज से शुरू हो रहा है। बंगाली लाइब्रेरी पूजा समिति इस बार दुर्गा पूजा का 100वां महोत्सव मनाने जा रही है। इस दौरान कलाकार रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी देंगे। रंग बरंगी लाइटों से सजाए गये पंडालों में आज शाम पूजा के साथ मूर्ति स्थापित की जायेगी। दुर्गा महोत्सव का पांच अक्टूबर को मूर्ति विसर्जन के साथ समापन हो जायेगा।
देहरादून में छह जगहों पर सजाए गये हैं पंडाल
देहरादून में इस बार दुर्गा पंडाल मुख्य रूप से दुर्गाबाड़ी मंदिर बिंदाल, माडल कालोनी आराघर, रायपुर, करनपुर और प्रेमनगर समेत छह जगहों पर दुर्गा महोत्सव के लिए पंडाल सजाए गये हैं। बंगाली समुदाय के लोगों में दुर्गा पूजा को लेकर काफी उत्साव देखने को मिलता है। वैसे भी कोविड के कारण दो साल बाद दुर्गा पूजा महोत्सव मनाया जा रहा है। बंगाली लाइब्रेरी पूजा समिति करनपुर में दुर्गा पूजा का 100वां महोत्सव उल्लास एवं भक्तिभाव से मनाया जायेगा। https://sarthakpahal.com/
समिति से महासचिव आलोक चक्रवर्ती ने बताया कि लाइब्रेरी में मूर्ति को अंतिम रूप दिया जा चुका है और शनिवार यानि आज परिसर में दुर्गा जी की स्थापना की जायेगी। महोत्सव के तहत शांति निकेतन कोलकाता, श्री ग्रुप दिल्ली के कलाकार अपनी सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से दर्शकों का मनोविनोद करेंगे। इसके अलावा हिंदी में रामायण का मंचन स्थानीय कलाकारों द्वारा किया जायेगा।
दुर्गा पूजा का महत्व
बंगाल में इस दिन मां दुर्गा की प्रतमा से पर्दा हटाया जाता है। कल्पारम्भ, पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा अनुष्ठानों के शुभारंभ का प्रतीक है। इस परंपरा को अकाल बोधन भी कहते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार अकाल बोधन का अर्थ है मां दुर्गा का असामयिक आह्वान यानि कि देवी मां को असमय निंद्रा से जगाना। ऐसा माना जाता है कि मां दुर्गा ने इस दिन महिषासुर राक्षस का वध किया था, जो ब्रह्मा जी का वरदान पाकर काफी शक्तिशाली हो गया था। उसने एक बार इंद्र को भी परास्त कर स्वर्गलोक पर कब्जा कर लिया था। देवी दुर्गा ने महिषासुर के साथ नौ दिन तक युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध किया, इसीलिए दसवें दिन को विजयदशमी के रूप में मनाते हैं।