हरिद्वार। मां और बच्चे का रिश्ता कितना गहरा होता है, ये किसी प्रमाण की जरूरत नहीं। वहमरते दम तक अपने बच्चों के ऊपर अपनी छत्रछाया इस तरह बनाकर रखती है, कि उन्हें कोई आंच नहीं आने देती। ऐसा ही एक वाकया बीरोंखाल बस हादसे में सामने आया है। जहां मां की सांसों की डोर तो टूट गयी, मगर उसने अपने जिगर के टुकड़े को अपने आंचल से अलग नहीं होने दिया। भीषण हादसे के बाद मां तो स्वर्ग सिधार गयी, लेकिन उसकी दो साल की मासूम सुरक्षित घर लौट आई। वैसे भी कहते हैं कि जिसको भगवान बचाना चाहता है, उसके आगे मौत भी बौनी साबित हो जाती है।
मां की मौत के बाद भी मां की छाती पर चिपकी रही
बारात में दूल्हे संदीप की रिश्तेदार रसूलपुर की गुड़िया और उसकी दो साल की बेटी दिव्यांशी भी बस में सवार थीं। दिव्यांशी अपनी मां की गोद में थी। हादसे के दौरान गहरी खाई में बस पलटने के बाद भी मां ने अपनी मासूम बेटी को अपने आंचल की छांव में जकड़ कर रखा। वह अंतिम समय में भी मां की गोद में ही रही। कार चालक धर्मेंद्र ने बताया कि जब रेस्क्यू टीम ने गुड़िया को देखा तो उसकी मौत हो चुकी थी, जबकि उसकी गोद में बैठी दिव्यांशी सुरक्षित थी। हर कोई ये सोचकर हैरान है कि बच्ची न केवल सुरक्षित है, बल्कि गोद से छिटककर कहीं इधर-उधर भी नहीं गिरी। https://sarthakpahal.com/
हादसे के बाद बच्ची कल अपने घर पहुंच चुकी है। वह केवल मां को ही याद कर रही है, लेकिन उसे यह कौन बताए कि उसको बचाने वाली अब इस दुनिया में नहीं है। लालढांग से पौड़ी गयी बस में करीब 52 लोग सवार थे, जिनमें से करीब 15 बच्चे और महिलायें थीं। बस में जितने भी लोग थे, उनमें से सकुशल वापस लौटने वालों में गिने-चुने लोग ही बचे हैं।