
उत्तरकाशी। अभी चिता की आग बुझी भी नहीं थी कि गांव में दूसरे बेटे का शव भी आ पहुंचा। उत्तरकाशी हिमस्खलन ने कई परिवारों से उनकी औलादें छीन लीं। हिमाचल प्रदेश के नारकंडा गांव शेरकोट का कैंथला परिवार भी इनमें से एक है। हादसे में जान गंवाने वाले बेटे की चिता की आग अभी बुझी भी नहीं थी कि एक और बेटे का शव उत्तरकाशी पहुंच गया।
एक ही गांव के दो लोग गये थे माउंटेनियरिंग में
बीते चार अक्टूबर को द्रौपदी का डांडा हिमस्खलन हादसे में हिमाचल प्रदेश के नारकंडा गांव शेरकोट निवासी शिवम कैंथोला और अंशुल कैंथोला ापता हो गये थे। हादसे के तीन दिन बाद शुक्रवार को पहले शिवम कैंथुला का शव जिला मुख्यालय उत्तरकाशी पहुंचा था। शिवम के पिता भारी मन से बेटे का शव लेकर गांव रवाना हुए और गत शनिवार को पैतृक घाट पर नम आंखों से उसका अंतिम संस्कार किया गया। https://sarthakpahal.com/
साहसिक खेलों का शौकीन था अंशुल
अगले ही दिन रविवार को हादसे में लापता अंशुल कैंथला (24) का शव भी उत्तरकाशी पहुंच गया। अंशुल के पिता पूर्व सैनिक इंदर कैंथला हादसे में इकलौते बेटे के सकुशल लौटने की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन बेटे का शव देखते ही उनकी आंखों से आंसुओं का सैलाब टूट पड़ा। पिता बोले कि बेटे को बचपन से ही साहसिक खेलों का शौक था। अंशुल कैंथला की आखिरी बार मां गीता से फोन पर बात हुई थी, जब उसने आठ अक्टूबर को लौटने की बात ही थी। अंशुल तो अब नहीं आएगा, लेकिन उसके शव की मनहूस खबर जरूर आ गयी।