
कोटद्वार। बड़खोलू को सतपुली बाजार से जोड़ने वाले बड़खोलू झूला पुल से गिरकर एक ग्रामीण सतीश चंद्र की मौत हो गयी। पिछले 12 सालों से झूला पुल मरम्मत की बाट जोह रहा है, लेकन शासन प्रशासन ने न तो पुल की मरम्मत की और न ही नया पुल बनाने की कोशिश की।
पुल पर आवाजाही करना खतरनाक
1987 में ग्रामसभा बड़खोलू सहित तीन अन्य ग्रामसभाओं को सतपुली बाजार से जोड़ने के लिए नयार नदी में झूला पुल का निर्माण किया गया था। उस समय करीब 4 हजार की आबादी इस पुल से गुजरती थी। वर्तमान में यह झूला पुल करीब 2000 की आबादी को सतपुली कस्बे से जोड़ता है। अभी कुछ दिन पहले गुजरात में मोरबी का झूला पुल टूटने से 134 लोगों की जान जा चुकी है, फिर भी सरकार इस ओर आंखें मूंदे बैठी है। ग्रामीण की मौत सरकार के मुंह पर तमाचा है।
2010 में बाढ़ के कारण हुआ था क्षतिग्रस्त
18 सितम्बर 2018 को पूर्वी व पश्चिमी नयार नदी में बाढ़ आने के कारण यह झूलापुल क्षतिग्रस्त हो गया था। रोज इन तीन चार ग्राम सभाओं के स्कूली बच्चे इस पुल को पार कर सतपुली पहुंचते हैं और फिर वापस लौटते हैं।
तीन मुख्यमंत्री कर चुके हैं पुल के निर्माण की घोषणा
नयार नदी के इस झूला पुल के क्षतिग्रस्त को सुधारने के लिए अब तक तीन मुख्यमंत्री घोषणा कर चुके हैं, लेकिन ये घोषणाएं सिर्फ चुनावी होती हैं। चुनाव जीतने के बाद कौन किसकी सुध लेता है, ये सब जानते हैं। पूर्व सीएम बीसी खंडूड़ी ने इस स्थान पर मोटर पुल सहित बड़खोलू से कांडा तक 12 किमी सड़क का शासनादेश भी जारी किया था, लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद वो आदेश ठंडे बस्ते में चला गया। पूर्व सीएम हरीश रावत से लेकर त्रिवेंद्र सिंह रावत तक इस पुल के निर्माण की सार्वजनिक घोषणा कर चुके हैं, लेकिन पुल अभी भी निर्माण की बाट जोह रहा है।
‘पुल का निर्माण विश्व बैंक की सहायता से किया जाना है। पुल निर्माण को पूर्व में ही धनराश अवमुक्त हो गयी थी। कुछ ग्रामीणों को मुआवजा भी वितरित कर दिया गया था, लेकिन पुल के दूसरे छोर में कुछ ग्रामीणों ने भूमि देने से मना कर दिया, जिस कारण निर्माण में कुछ दिक्कत आई है। अब उक्त ग्रामीणों से वार्ता कर उन्हें मुआवजा दे दिया गया है। साथ ही विश्व बैंक ने नए सिरे से पुल का प्राक्कलन स्वीकृति के लिए शासन में भेज दिया है। जल्द ही पुल का निर्माण शुरू कर दिया जायेगा।’
राजकुमार पोरी, विधायक, पौड़ी विधानसभा
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