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किरन नेगी दुष्कर्म मामले में नया मोड़, सुप्रीम कोर्ट के आदेश को सरकार देगी चुनौती

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नई दिल्ली। दिल्ली सरकार छावला दुष्कर्म मामले में 3 दोषियों की रिहाई और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करेगी। दिल्ली के उपराज्यपाल ने सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ याचिका दायर करने की अनुमति दे दी है।

फरवरी 2012 में दिल्ली के छावला इलाके में युवती से सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले में अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती दी जायेगी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पीड़िता का प्रतिनिधित्व करने के लिए सालिसिटर जनरल तुषार मेहता और ऐश्वर्या भाटी की नियुक्ति को दिल्ली के उपराज्यपाल ने मंजूरी दे दी है।

आरोपियों को बरी करने के खिलाफ दायर होगी याचिका
पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने जांच पर सवाल उठाते हुए सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले में सबूतों के अभाव में छावला गैंगरैप और हत्या के दोषी तीनों आरोपियों को बरी कर दिया था। इस फैसले के बाद पूरे उत्तराखंड में उबाल उठ गया था। दुष्कर्म पीड़िता के परिजनों ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए पुनर्विचार याचिका दायर की जायेगी। पीड़िता का परिवार आरोपियों को मौत की सजा की मांग कर रहा था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सबको चौंकाते हुए तीनों आरोपियों को बरी कर दिया था। इस सिलसिले मे पीड़िता के माता-पिता ने दिल्ली के उपराज्यपाल से मिलकर पुनर्विचार याचिका दायर करने की गुहार लगाई थी।

हरियाणा के युवकों ने किया था युवती से दुष्कर्म और हत्या
फरवरी 2012 में कार सवार तीन युवकों ने उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल की और वर्तमान में दिल्ली के छावला की रहने वाली 19 वर्षीय युवती किरन नेगी का अपहरण कर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म करने के बाद उसकी हत्या कर दी थी। दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज मामले में रवि, राहुल और विनोद हरियाणा ने इस वारदात को अंजाम दिया था। युवती का क्षत-विक्षत शव अपहरण के तीन दिन बाद हरियाणा के रोधई गांव के खेतों में मिला था।

सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया था हाईकोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि अदालतें केवल नैतिक दोष या संदेह के आधार पर आरोपी को दोषी नहीं ठहरा सकती है। यह सच हो सकता है कि यदि जघन्य अपराध में शामिल आरोपियों को दंडित करने के बजाय बरी कर दिया जाय तो सामान्य रूप से समाज और पीड़ित के परिवार को दुख और निराशा हो सकती है। अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अभियोजन पक्ष उचित संदेह से परे आरोपों को साबित करने में विफल रहा। https://sarthakpahal.com/

किरन नेगी मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से उत्तराखंड में चारों तरफ उबाल

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