कोटद्वार। उत्तराखंड के पौड़ी जिले के कोटद्वार में स्थित श्री सिद्धबली मंदिर परिसर में श्री सिद्धबली बाबा का तीन दिवसीय वार्षिक अनुष्ठान का समापन हो गया। जागरों के दौरान कई पुरुष और महिलाएं देवता के प्रभाव में आकर दहकते अंगारों पर नाचने लगे। इस दौरान आस्था का हैरतंगेज दृश्य देखने को मिला।
एकादश कुंडीय यज्ञ का पुर्णाहुत के साथ समापन
तीन दिवसीय मेले के अंतिम दिन ब्रह्ममुहुर्त में श्री सिद्धबाबा के महाभिषेक के उपरांत आचार्य पं. देवी प्रसाद भट्ट के सानिध्य में रुद्र पाठ हुआ। यज्ञ समापन पर श्री सिद्धबाबा के जागर शुरू हुए। जागर समाप्त होने के बाद सवा मन रोट का भोग लगाया गया और बाद में इस रोट को प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं में वितरित किया गया। मुख्य जागरी सर्वेंद्र कुकरेती व उनके साथी हरीश चंद्र भारद्वाज, मांगे लाल, गीता कुमार व धनवीर भारती के जागर सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु कोटद्वार के सिद्धबली मंदिर में पहुंचे थे।
कई महिलाएं पुरुष देवी-देवताओं के प्रभाव में आकर नाचे
‘अलेठी-पलेठी धौला उड्यारी जाग, मोड़ाखाल जाग, मलोठी भाबर मा जाग, सिद्धबली मंदिर मां सिद्धबाबा जाग, माता विमला मोहरी को जाग, राजा कुंवरपाल को जाग…’ जैसे जागरों की धुन के बीच कई महिलाएं एवं पुरुष ‘देवी-देवताओं’ के प्रभाव में आकर नाचने लगे। जागर के दौरान सिद्धबाबा के प्रभाव में आए लोगों ने लोहे के सांकल से पीठ पर प्रहार करना शुरू कर दिया। धूप दिखाकर उन्हें शांत कर मौजूद भक्तों ने सिद्धबाबा का आशीर्वाद लिया। इस मौके पर दिलीप रावत, विवेक अग्रवाल, सुनील बुड़ाकोटि, शैलेश जोशी सहित कई अन्य लोग भी मौजूद रहे।
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