जोशीमठ। बद्रीनाथ धाम से 45 किलोमीटर दूर जोशीमठ में हैरान करने वाला मंजर है। घरों को फोड़कर पानी बह रहा है। भू-धंसाव प्रभावित क्षेत्र को आपदाग्रस्त घोषित किया गया है। जिनके घरों में दरारें आ चुकीं हैं या जमीन का हिस्सा धंस गया है, उनमें से कई लोग अपना पुश्तैनी आशियाना छोड़कर पलायन करने को मजबूर हैं। समिति ने ऐसे भवनों को गिराए जाने की सिफारिश की है, जो पूरी तरह से असुरक्षित हैं। प्रभावित परिवारों के लिए फेब्रिकेटेड घर बनाए जाएंगे।
आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने एक समाचार एजेंसी को बताया कि एक सर्वेक्षण में पता चला है कि शहर के सुरक्षित स्थानों पर भी दरारें आ गई हैं। कुछ होटल प्रभावित हुए हैं. कुछ जगहों पर पानी के स्रोत खुल गए हैं।
603 घरों में आ चुकी है दरारें
उत्तराखंड के चमोली जिले में 6,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब के रास्ते पर जोशीमठ शहर हाई रिस्क वाले भूकंपीय ‘जोन-वी’ में आता है। अब तक इस शहर के कई इलाकों में 603 घरों में दरारें आ चुकी हैं। 100 से ज्यादा घर में हालात खतरनाक हो चुके हैं।
एनटीपीसी प्रोजेक्ट के खिलाफ जमकर विरोध
यहां लोगों द्वारा एनटीपीसी प्रोजेक्ट के खिलाफ जमकर विरोध भी हो चुका है। हो सकता है कि इस खतरे के पीछे यह भी एक कारण हो। नाजुक स्थिति को देखते हुए हेलंग मारवाड़ी बायपास और NTPC की पनबिजली परियोजना की सभी निर्माण गतिविधियों को तुरंत रोक दिया गया है। https://sarthakpahal.com/
जोशीमठ रहने लायक नहीं: गणेश जोशी
जोशीमठ में जो हालात दिखाई दे रहे हैं, उनको देखते हुए अब वह जगह रहने लायक नहीं रह गई है। इसलिए मुख्यमंत्री ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर सभी को शिफ्ट करने के निर्देश दिए हैं। सरकार ने 6 महीने तक उनको 4000 रुपए किराया देने की बात कही है। इसके अलावा भी जो भी मदद होगी, सरकार करेगी।