जोशीमठ। विवादों में रहे एनटीपीसी प्रोजेक्ट के खिलाफ जोशीमठ के स्थानीय लोगों ने पहले से ही जंग छेड़ रखी है। रुड़की के राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआईएच) के वैज्ञानिक टनल और जोशीमठ के रिसाव के पानी के नमूनों की जांच कर रहे हैं। ये दोनों नमूने मैच कर गए तो इचौतरफा हमलों में घिरा एनटीपीसी का 520 मेगावाट का तपोवन-विष्णुगाड़ पनबिजली प्रोजेक्ट संकट में फंस सकता है।
12 किमी लंबी है एनटीपीसी की टनल
एनटीपीसी तपोवन से लेकर विष्णुगाड़ तक 12 किलोमीटर लंबी टनल बना रही है। तपोवन एक सिरा है और विष्णुगाड़ दूसरा। बीच में ऊंची पहाड़ी के ढलान पर जोशीमठ बसा है। एनटीपीसी की योजना तपोवन में बह रही सहायक नदी धौलीगंगा के पानी से बिजली बनाने की है। ये पानी तपोवन से टनल के जरिये एनटीपीसी के पावर हाउस सेलंग तक आएगा। बिजली बनाने के बाद इस पानी को विष्णुगाड़ स्ट्रीम के रास्ते अलकनंदा नदी में छोड़ दिया जाएगा।
पहले से ही विवादों में रहा है एनटीपीसी का प्रोजेक्ट
पवित्र गंगा को भारी जलराशि देने वाली अलकनंदा की घाटी में बन रहे एनटीपीसी तपोवन-विष्णुगाड़ जल विद्युत परियोजना हमेशा विवादों में रही है। गंगा की सहायक नदी के पानी से 13.2 मेगावाट बिजली बनाने के लिए 2006 से शुरू हुए इस प्रोजेक्ट में एनटीपीसी की अकेली टनल बोरिंग मशीन पिछले दस साल से टनल में फंसी हुई है। जोशीमठ के आंदोलनकारियों का इल्जाम है कि शहर में पानी के रिसाव की असल जिम्मेदार एनटीपीसी और उसकी टनल है। https://sarthakpahal.com/
टनल फिलहाल बिल्कुल सूखी है। वर्ष 2020 से टीबीएम इस टनल में फंसी हुई है, जिसे आगे बढ़ाने के प्रयास चल रहे हैं। यहां कोई रिसाव नहीं है। छोटा जो पानी आ रहा है, वह महज चट्टानों का है जो कि आता है और सूख जाता है। टनल औली की तरफ वाले हिस्से में बन रही है। इसका भू धंसाव से कोई संबंध नहीं। जहां नियंत्रित विस्फोट की जरूरत पड़ रही है, उसकी दूरी भी जोशीमठ से करीब 11 किमी है।
राजेंद्र प्रसाद अहिरवार, परियोजना प्रमुख, एनटीपीसी तपोवन विष्णुगाड़ परियोजना
एनटीपीसी के प्रोजेक्ट और जोशीमठ भू धंसाव पर टीम अध्ययन कर रही है। रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि टनल का इस भू धंसाव से कोई कनेक्शन है या नहीं।
आर मीनाक्षी सुंदरम, सचिव, ऊर्जा, उत्तराखंड सरकार