देहरादून। 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद दिवंगत भाजपा नेता सुषमा स्वराज ने उत्तराखंड में गंगा और उसकी सहायक नदियों पर बन रहे सभी बांधों को निरस्त करे की जोरदार मांग की थी। जोशीमठ भूधंसाव आपदा में एनटीपीसी के तपोवन विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना की भूमिका पर उठ रहे सवालों के बीच सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहे इस वीडियो में लोकसभा में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष के रूप में दिये गये अपने संबोधन में सुषमा स्वराज ने कहा था कि अगर उत्तराखंड को बचाना है तो गंगा नदी पर रहे सभी बांधों को निरस्त करना पड़ेगा। आप भी सुनिये….
प्रकृति से छेड़छाड़ आपदाओं को निमंत्रण देना है
उन्होंने कहा था कि गंगा मैया को सुरंग में डाले जाने के कारण उत्तराखंड में आपदाएं झेलनी पड़ रही हैं। उन्होंने कहा, ‘जितना चाहे पैसा उन पर खर्च हो चुका हो, लोगों के राहत और पुनर्वास पर होने वाले खर्च से कम होगा।’ जोशीमठ से सटे क्षेत्र में गंगा नदी की सहायक नदी धौलीगंगा पर एनटीपीसी की 520 मेगावाट तबोवन विष्णुगाड़ जल विद्युत परियोजना निर्माणाधीन है और स्थानीय लोग उस परियोजना को भूधंसाव के लिए जिम्मेदार मान रहे हैं। https://sarthakpahal.com/
क्या सबकुछ तबाह होने के बाद आंख खुलेगी?
सदन में सुषमा स्वराज कहती हैं, उत्तराखंड में विकास के नाम पर प्रकृति से छेड़छाड़ करने की होड़ लगी है। यह उसी का नतीजा है। हम किसके लिए विकास कर रहे हैं। हम खरबों रुपये खर्च करके विकास करते जाते हैं, प्रकृति एक दिन क्रोधित होती है और ऐसे विनाश लीला करती है कि सब कुछ तबाह कर जाती है। कब आंखें खुलेंगी हमारी?
इस वीडियो को पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता उमा भारती ने भी अपने ट्विटर हैंडल पर साझा किया है, जिसका उत्तराखंड से सीधा लगाव जगजाहिर है। भारती भी भागीरथी पर बनने वाले बांधों की विरोधी रही हैं। स्वराज ने अपने संबोधन में यह भी कहा था, ‘यह केवल एक संयोग है, मैं सदन को बताना चाहती हूं कि 16 जून 2013 को धारी देवी का मंदिर जलमग्न हुआ, उसी दिन केदारनाथ में जल प्रलय आई और सब कुछ तबाह हो गया।’