उत्तराखंडस्वास्थ्य

गंभीर बीमारियों में आयुष्मान ना होता, तो पता नहीं क्या होता

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इस बात में कोई दो राय नहीं है कि प्रदेश भर में आयुष्मान योजना मरीजों के लिए संजीवनी साबित हो रही है। एक समय में हृदय रोग, किडनी रोग, मस्तिस्क रोग, कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों को लाइलाज इसलिए माना जाता था क्योंकि वह सामान्य वर्ग की पहुंच से बहुत दूर था। लेकिन अब सामान्य वर्ग में भी उपचार के बाद जीने की उम्मीद फिर से जग गई है।

देहरादून के अरिहंत अस्पताल में उपचार करा रही देहरादून माजरी निवासी अनीता कुकरेती अपना दर्द बयां करते हुए बताती हैं कि डायलिसिस की प्रक्रिया से ही हम जैसे मरीजों को जीवन मिलता है। न आयुष्मान के जरिए वह मुफ्त में उपचार ले रही हैं। वहीं हृदय रोग के 7354 से अधिक मरीजों का योजना के जरिए मुफ्त उपचार किया जा चुका है। इसके अलावा वर्न मैनेजमैंट के 434, कार्डियो थोरासिस एव वास्कुलर सर्जरी के 1133, न्यूरो सर्जरी के 4253 तथा कैंसर के 27112 लाभार्थियों को आयुष्मान के जरिए मुफ्त उपचार मिला। उक्त गंभीर बीमारियों पर अभी तक सरकार का 220 करोड़ से अधिक की धनराशि खर्च हो चुकी है। पहले हालात यह थे कि उक्त गंभीर बीमारियों का लोग नाम लेने तक में डरते थे।

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