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बुलडोजर के जोश में होश खो बैठा प्रशासन, जिंदा जलीं मां बेटी, गुस्से में लेखपाल पर दे मारी कुल्हाड़ी

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कानपुर। बुलडोजर के जोश में होश खो बैठा प्रशासन इतना बेसुध हो गया है कि अच्छा-बुरा सबकुछ भूल गया है। कानपुर देहात की इस घटना ने हर किसी को झकझोर दिया है। मंगलवार को उच्चाधिकारियों द्वारा परिजनों को समझाने का प्रयास चल रहा है। परिजन शव नहीं उठने दे रहे हैं। परिजन पांच करोड़, सरकारी नौकरी व दोनो बेटों के लिए आवास की मांग पर अड़े हैं। परिजन चाहते हैं कि मुख्यमंत्री को गांव बुलाया जाए व जो आरोपित मुकदमे में नामजद किए जाएं उनकी गिरफ्तारी हो, तभी शव उठने दिया जाएगा। अधिकारी ग्रामीणों को मनाने में लगे हैं। मंडलायुक्त पूरी रात गांव में रहे पर बात न बन सकी है।

लेखपाल और एसडीएम निलंबित


कानपुर आयुक्त डॉ. राज शेखर ने बताया कि घटना में एफआईआर दर्ज़ कर ली गई है। हम आरोपी को पकड़ने का प्रयास कर रहे हैं। लेखपाल व एसडीएम को निलंबित कर दिया गया है। वहीं उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि अधिकारियों से बात की जा रही है, किसी भी दोषी को हम बख्शेंगे नहीं। प्रशासनिक अधिकारी हों या पुलिस के अधिकारी, कानपुर में झुग्गी झोपड़ी पर जाकर जिन लोगों ने ऐसा काम किया है उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। जांच कमेटी की रिपोर्ट आज मिल जाएगी।

लेखपाल को कुल्हाड़ी मारकर घायल किया
मां-बेटी की मौत से आक्रोशित लोगों ने हंगामा करते हुए लेखपाल पर कुल्हाड़ी से हमला कर घायल कर दिया। भीड़ का गुस्सा देख टीम के लोग अपने वाहनों मौके पर छोड़कर भाग गए। इसके बाद आक्रोशितों ने एसडीएम, रुरा इंस्पेक्टर, लेखपाल व तहसीलदार व गांव के 10 लोगों पर हत्या की रिपोर्ट दर्ज किए जाने की मांग करते हुए शवों को नहीं उठने दिया। https://sarthakpahal.com/

‘कानपुर में अतिक्रमण हटाने पहुंचे प्रशासन के सामने ही मां-बेटी ने आग लगाकर जान दे दी और पुलिस तमाशा देखती रही। अतिक्रमण हटाने व बुलडोजर के जोश में प्रशासन आखिर अपना होश क्यों खो रहा है। क्या ‘महिला सशक्तिकरण’ व ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ की बात केवल कागजी नीति है? ’ शिवपाल सिंह यादव, राष्ट्रीय महासचिव, शिवपाल सिंह यादव

परिवार घर में था और चला दिया बुलडोजर


दिवंगत प्रमिला के बेटे शिवम दीक्षित तहरीर में लिखा कि इस जमीन पर हमारे बाबा निवास करते थे। 14 जनवरी को मैथा एसडीएम, लेखपाल व रूरा एसओ बुलडोजर लेकर बिना किसी सूचना के मकान गिराने आ गए। उस दिन कुछ निर्माण गिराया व 10 से 12 दिन का समय दिया गया कि इसे खुद गिरा लो। इसके बाद हम मवेशी संग कलेक्ट्रेट पहुंचे जहां एडीएम प्रशासन ने सुनवाई नहीं की बल्कि बलवा का मुकदमा लिखवा दिया गया।

छावनी बना मड़ौली गांव, पीएसी व पुलिस बल तैनात
घटना के बाद मड़ौली गांव छावनी में तब्दील हो गया। ग्रामीणों के आक्रोश को देखते हुए पीएसी भी बुला ली गई। मंगलपुर, शिवली, मूसानगर, राजपुर, डेरापुर सहित अन्य थानों की पुलिस के अलावा फायर ब्रिगेड की गाड़ियां भी मौके पर मौजूद रहीं।

 

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