ऊखीमठ। पंच केदार में तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ मंदिर के कपाट शनिवार को दोपहर बाद शुभ मुहूर्त के अनुसार शीतकाल के लिए वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ बंद कर दिए गए। कपाट बन्द होने के पावन अवसर पर भारी संख्या में भक्तों ने धाम पहुंच कर बाबा के दर्शन किये। भोलेनाथ के जयघोष के साथ चोपता तक भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली का जगह जगह भव्य स्वागत किया गया। चोपता, भनकुन होते हुए 1 नवंबर को डोली शीतकालीन गद्दीस्थल मार्कण्डेय मंदिर मक्मूमठ में विराजमान हो जाएगी।
शनिवार को सुबह आचार्यों, वेदपाठियों ने पंचाग पूजा कर भगवान तुंगनाथ सहित तैतीस कोटि देवी-देवताओं का आवाह्न कर उनकी आरती उतारी और भगवान के स्वयंभू लिंग पर जलाभिषेक कर उनसे मनौती मांगी। इस दौरान आराध्य के स्वयंभू लिंग को समाधि रूप देकर भव्य शृंगार किया गया। इसके बाद भगवान शंकर छः माह शीतकाल को जगत कल्याण के लिए तपस्यारत हो गये। कपाट बंद होते ही तुंगनाथ की चल विग्रह डोली ने मंदिर की तीन परिक्रमा की। कपाट बंद होने के समय श्रद्धालु भोले के भजनों में झूमते रहे। साथ ही स्थानीय महिलाओं ने मांगल गीतों के साथ डोली को धाम से विदा किया।
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