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फूलों की घाटी सैलानियों के लिये हुई शीतकाल तक बंद

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गोपेश्वर। किंवदंती है कि रामायण काल में हनुमान संजीवनी बूटी की खोज में इसी घाटी में पधारे थे। हिमाच्छादित पर्वतों से घिरा हुआ और फूलों की 500 से अधिक प्रजातियों से सजा हुआ यह क्षेत्र बागवानी विशेषज्ञों या फूल प्रेमियों के लिए एक विश्व प्रसिद्ध स्थल बन गया है। फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान एक फूलों की घाटी का नाम है, जिसे अंग्रेजी में vally of flowers कहते हैं। इस घाटी का पता सबसे पहले ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक एस स्मिथ और उनके साथी आर एल होल्डसवर्थ जो 1931 में कामेट पर्वत अभियान से लौट रहे थे, लगाया था। विश्व संगठन यूनेस्को द्वारा 1982 में घोषित विश्व धरोहर स्थल नन्दा देवी अभयारण्य नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान का एक भाग है।

इस वर्ष कोरोना की पाबंदियों के बीच 21 जुलाई को फूलों की घाटी सैलानियों के लिये खोली गई थी। जिसके बाद तीन माह में यहां इस वर्ष 15 विदेशी सैलानियों के साथ ही कुल 9504 देसी व विदेशी सैलानी घाटी के दर्शन के लिये पहुंचे। घाटी के दर्शन को पहुंचे पर्यटकों से नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान को 13 लाख 93 हजार 575 रुपये की आय प्राप्त हुई।

 

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