रेप, मर्डर में फांसी की सजा पाया व्यक्ति निकला नाबालिग, सुप्रीम कोर्ट बोला, रिहा करो
नई दिल्ली। एक नाबालिग लड़की के रेप, मर्डर केस में फांसी की सजा पाया व्यक्ति नाबालिग निकला। सुप्रीम कोर्ट ने घटना के वक्त उसके नाबालिग होने के कारण उसकी सजा को खारिज कर दिया और उसे रिहा करने का आदेश दिया है। यह मामला मध्य प्रदेश का है, जहां ट्रायल कोर्ट ने रेप और मर्डर में आरोपी को फांसी की सजा सुनाई थी। हाई कोर्ट ने भी फांसी की सजा को कन्फर्म कर दिया जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि घटना के वक्त वह नाबालिग था और ऐसे में उसे जूवेनाइल जस्टिस एक्ट का लाभ मिलना चाहिए।
3 साल के लिए सुधार गृह में रख सकते हैं
जेजे एक्ट के तहत प्रावधान है कि नाबालिग अगर अपराध के लिए दोषी पाया जाए तो ज्यादा से ज्यादा उसे तीन साल के लिए सुधार गृह में रखा जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान ट्रायल कोर्ट से कहा कि वह जेजे एक्ट के तहत आरोपी के नाबालिग होने के दावे की छानबीन करे। ट्रायल कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट पेश कर कहा कि आरोपी का जन्म 25 जुलाई 2002 को हुआ है और इस तरह घटना वाले दिन यानी 15 दिसंबर 2017 को वह 15 साल का था।
पांच साल जेल की सजा काट चुका है
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जेजे एक्ट के तहत जूवेनाइल (नाबालिग) को ज्यादा से ज्यादा तीन साल सुधार गृह में रखा जा सकता है ऐसे में उसकी फांसी की सजा को खारिज की जाती है और वह पांच साल जेल काट चुका है तो ऐसे में उसे रिहा किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में हमारा मत है कि दोषी करार दिया जाना इस कारण निरस्त नहीं हो सकता है कि जूवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने मामले में छानबीन नहीं की। https://sarthakpahal.com/