मथुरा। गोवर्धन पूजा दीपावली की अगले दिन आती है। इसे अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। इसका काफी महत्व है। इस पर्व में गोधन यानी गायों की पूजा की जाती है। गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है। देवी लक्ष्मी जिस प्रकार सुख समृद्धि प्रदान करती हैं उसी प्रकार गौमाता भी अपने दूध से स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं। ब्रजवासियों को मूसलाधार वर्षा से बचाने के लिए कृष्ण भगवान ने सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठाकर रखा और गोप-गोपिकाएं उसकी छाया में सुखपूर्वक रही।
अन्नकूट महोत्सव पर गिरिराज दानघाटी मंदिर, जतीपुरा के मुकुट मुखारविंद मंदिर, हरिगोकुल मंदिर, श्रीराधा दामोदर सेवाश्रम, कनक भवन आश्रम, राधा-कृष्ण संगम कुंड स्थित रघुनाथ दास गोस्वामी महाराज की गद्दी, वैष्णव सेवाश्रम आदि में कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। मथुरा के द्वारकाधीश मंदिर में भी गोवर्धन पूजा का आयोजन किया गया है। यहां गोवर्धन पूजा में प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा भी शामिल हुए। इसके बाद उन्होंने गोवर्धन की परिक्रमा लगाई। दीपावली पर्व पर गिरिराज जी की नगरी पर परंपरागत दीपदान महोत्सव से झिलमिला उठी। आस्था और श्रद्धा में डूबे भक्तों ने मानसी गंगा, राधाकुंड एवं मंदिरों में दीपदान किया।