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पलक झपकते ही दफन हो गयीं 20 जिंदगियां, संभलने का नहीं मिला मौका, खतरनाक था गौरीकुंड हादसा

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रुद्रप्रयाग। केदारनाथ यात्रा के मुख्य पड़ाव गौरीकुंड हादसे में 20 लोग जिंदा दफन हो गए। हादसे का मुख्य कारण चट्टान टूटने से दुकानों पर गिरा मलबा और बोल्डर बताया जा रहा है। ये भी बताया जा रहा है कि पहाड़ी पर स्थित चट्टान के एक हिस्से में देर रात करीब 11 बजे वज्रपात हुआ था। देखते ही देखते पहाड़ी से बोल्डर छिटक गए और सीधे नीचे रास्ते किनारे स्थित तीन दुकानों पर गिर गए। पत्थर इतने भारी थे कि दुकानों का कुछ अता-पता नहीं चला। दुकान समेत लोग सीधे नदी में जा गिरे।

लगा कहीं बादल फट गया, तेज आवाज से लोगों की टूटी नींद
रात 11.30 बजे जब मूसलाधार बारिश के बीच तेज आवाज सुनाई दी, तो नींद टूट गई और लगा कहीं बादल फट गया। कुछ लोगों की आवाज सुनीं तो कमरे से बाहर आ गये। डाट पुल के पास पहाड़ी से भारी भूस्खलन हुआ और कुछ दुकानें ध्वस्त हो गईं। हादसे का मंजर बहुत डरावना था। बोल्डर और मलबे के बीच दुकानों का कोई पता नहीं था। सिर्फ लोहे व बांस के कुछ एंगल दिखाई दे रहे थे। ये पता ही नहीं चला कि यहां पर कोई दुकान भी थी।

लोगों को भागने तक का नहीं मिला मौका
सोनप्रयाग-गौरीकुंड राजमार्ग के किनारे में जहां पर ये दुकानें थी, वहां से मंदाकिनी नदी बिल्कुल पास है। ऐसे में पहाड़ी से आए बोल्डर एक साथ दुकानों को तोड़ते हुए नदी में जा गिरे। जो लोग दुकानों के अंदर थे, उन्हें भागने तक का मौका नहीं मिला। पहाड़ी से गिरे भारी भरकम बोल्डर सड़क में न गिरते हुए सीधे दुकानों पर गिरे। https://sarthakpahal.com/

तीन शव बरामद, 20 अभी भी लापता
बता दें कि रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग पर गौरीकुंड बाजार से 500 मीटर पहले डाट पुल के पास भारी भूस्खलन से 20 लोग मलबे में लापता हैं। शुक्रवार देर शाम तक रेस्क्यू करते हुए तीन शव बरामद कर लिए गए हैं, जबकि 17 लोग अब भी लापता हैं। शव इतने विक्षित हैं कि उनकी पहचान करना तक मुश्िकल हो रहा है।

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