
देहरादून (जोशीमठ)। बद्रीनाथ अथवा बद्रीनारायण मन्दिर भारतीय राज्य उत्तराखण्ड के चमोली जनपद में अलकनन्दा नदी के तट पर स्थित एक हिन्दू मन्दिर है। यह हिंदू देवता विष्णु को समर्पित मंदिर है और यह स्थान इस धर्म में वर्णित सर्वाधिक पवित्र स्थानों, चार धामों में से एक प्राचीन मंदिर है जिसका निर्माण 7वीं-9वीं सदी में होने के प्रमाण मिलते हैं। मन्दिर के नाम पर ही इसके इर्द-गिर्द बसे नगर को बद्रीनाथ ही कहा जाता है। यह स्थान हिमालय पर्वतमाला के ऊंचे शिखरों के मध्य, गढ़वाल क्षेत्र में, समुद्र तल से 3133 मीटर (10,279 फ़ीट) की ऊंचाई पर स्थित है। जाड़ों की ऋतु में मन्दिर छह महीनों की सीमित अवधि के लिए ही खुला रहता है।
शीतकाल में छह माह के लिए बदरीनाथ धाम के कपाट आज (शनिवार) शाम 6.45 बजे विधि-विधान से बंद कर दिए जाएंगे। कपाट बंद होने के बाद उद्धव जी, कुबेर जी व शंकराचार्य जी की गद्दी डोली बदरीनाथ में ही रात्रि प्रवास कर 21 नवंबर को पांडुकेश्वर के लिए रवाना होगी। बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने से पूर्व पुष्प सेवा समिति ऋषिकेश की ओर से मंदिर को चारों ओर से 20 कुंतल गेंदा, गुलाब और कमल के फूलों से सुसज्जित किया गया है।