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उत्तराखंड की ‘पाताल ती’, ‘एक था गांव’ फिल्म को अवॉर्ड, राष्ट्रपति ने सृष्टि लखेड़ा को सराहा

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देहरादून/दिल्ली। नई दिल्ली के विज्ञान भवन में 69वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह का आयोजन किया गया है। इसमें उत्तराखंड की शॉर्ट फिल्म ‘पाताल ती’ को बेस्ट सिनेमेटोग्राफी का अवॉर्ड दिया गया। इसके अलावा ‘एक था गांव’ को अंतिम मिश्रित ट्रैक का री-रिकॉर्डिस्ट के तहत बेस्ट ऑडियोग्राफी के पुरस्कार से नवाजा गया। हालांकि, 69वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार की घोषणा पहले ही हो चुकी थी, लेकिन आज यानी 17 अक्टूबर सभी विजेताओं को ये अवॉर्ड दिए गए।

पहले हो चुकी थी घोषणा, आज दिए गए अवॉर्ड
गौर हो कि 69वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की सूची में लघु फिल्म ‘पाताल ती’ को बेस्ट सिनेमेटोग्राफी (Best Cinematography) में शामिल किया गया था। इस फिल्म के निर्माता और निर्देशक संतोष रावत हैं, जबकि, सिनेमेटोग्राफर बिट्टू रावत हैं। वहीं, बेस्ट नॉन फीचर फिल्म (Best Non Feature Film) के लिए सृष्टि लखेड़ा की ‘एक था गांव’ को चुना गया था, जिन्हें आज विज्ञान भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पुरस्कृत किया है।

क्या है पाताल ती फिल्म?
गौर हो कि ‘पाताल ती’ फिल्म 39वें बुसान अंतरराष्ट्रीय शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल कोरिया के लिए भी सिलेक्ट हुई थी। ‘पाताल ती’ एक शॉर्ट फिल्म है, जो भोटिया जनजाति की लोक कथा पर बेस्ड है। इस फिल्म के निर्माण के लिए पूरी टीम ने कड़ी मेहनत की है। टीम ने पहाड़ों पर पैदल चलकर कई ऐसे दृश्य फिल्माए हैं, जो देखने में अकल्पनीय और बेहतरीन हैं। इस शॉर्ट फिल्म का बिट्टू रावत और दिव्यांशु रौतेला ने फिल्मांकन किया है।

पलायन की पीड़ा को देखते हुए बनाई फिल्म
उत्तराखंड में पलायन की पीड़ा को देखते हुए सृष्टि ने यह फिल्म बनाई। बताया, पहले उनके गांव में 40 परिवार रहते थे और अब पांच से सात लोग ही बचे हैं। लोगों को किसी न किसी मजबूरी से गांव छोड़ना पड़ा। इसी उलझन को उन्होंने एक घंटे की फिल्म के रूप में पेश किया है। फिल्म के दो मुख्य पात्र हैं। 80 वर्षीय लीला देवी और 19 वर्षीय किशोरी गोलू।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सृष्टि लखेड़ा को सराहा
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ‘एक था गांव’ की निर्देशक सृष्टि लखेड़ा को सराहा. राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा कि ‘मुझे खुशी है कि महिला फिल्म निर्देशक सृष्टि लखेड़ा ने ‘एक था गांव’ नामक अपनी पुरस्कृत फिल्म में एक 80 साल की वृद्ध महिला की संघर्ष करने की क्षमता का चित्रण किया है। महिला चरित्रों के सहानुभूतिपूर्ण और कलात्मक चित्रण से समाज में महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता एवं सम्मान में वृद्धि होगी।’ इससे पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि पल्लवी जोशी, आलिया भट्ट, कृति सेनन जैसी अभिनेत्रियों ने सशक्त महिला चरित्र की भूमिकाएं निभाई हैं। https://sarthakpahal.com/

 

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