समलैंगिक शादी को मान्यता देने से SC का इनकार, 5 जजों की पीठ ने 3-2 से सुनाया फैसला
नई दिल्ली। समलैंगिक शादी को मान्यता देने से SC ने साफ इनकार कर दिया। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, एस रवींद्र भट, हिमा कोहली और पीएस नरसिम्हा की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ LGBTQIA+ समुदाय के लिए विवाह समानता अधिकारों से संबंधित याचिकाओं पर फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने भारत में LGBTQIA+ समुदाय को विवाह समानता का अधिकार देने से इनकार कर दिया। सभी पक्षों के वकीलों की ओर से अपनी दलीलें पूरी करने के बाद 11 मई को आदेश सुरक्षित रख लिया गया था।
सिर्फ कानून बनाकर ही दिया जा सकता है समलैंगिकों को विवाह का अधिकार
समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, विवाह का कोई अयोग्य अधिकार नहीं है सिवाय इसके कि इसे कानून के तहत मान्यता प्राप्त है। नागरिक संघ को कानूनी दर्जा प्रदान करना केवल अधिनियमित कानून के माध्यम से ही हो सकता है। समलैंगिक संबंधों में ट्रांससेक्सुअल व्यक्तियों को शादी करने का अधिकार है।
सीजेआई ने अपने आदेश में कहा कि केंद्र सरकार समलैंगिक संघों में व्यक्तियों के अधिकारों और हकों को तय करने के लिए एक समिति का गठन करेगी। यह समिति समलैंगिक जोड़ों को राशन कार्डों में ‘परिवार’ के रूप में शामिल करने, समलैंगिक जोड़ों को संयुक्त बैंक खातों के लिए नामांकन करने में सक्षम बनाने, पेंशन से मिलने वाले अधिकारों ग्रेच्युटी आदि पर विचार करेगी। समिति की रिपोर्ट को केंद्र सरकार के स्तर पर देखा जाएगा।
सेम सैक्स मैरिज को 34 देशों में मान्यता
समलैंगिक विवाह को दुनिया के 34 देश क्यूबा, एंडोरा, स्लोवेनिया, चिली, स्विट्जरलैंड, कोस्टा रिका, ऑस्ट्रिया, ऑस्ट्रेलिया, ताइवान, इक्वेडोर, बेल्जियम, ब्रिटेन, डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, आइसलैंड, आयरलैंड, लक्समबर्ग, माल्टा, नॉर्वे, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन, मेक्सिको, दक्षिण अफ्रीका, संयुक्त राज्य अमेरिका, कोलंबिया, ब्राजील, अर्जेंटीना, कनाडा, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड और उरुग्वे में मान्यता दी गई है, जबकि 22 देश ऐसे हैं, जहां बाकायदा कानून बनाया गया है।
देश की संस्कृति के खिलाफ है सेम सेक्स मैरिज’
हालांकि, केंद्र सरकार का तर्क है कि इस बारे में कोई भी कानून बनाने का विषय सरकार का है। सरकार का कहना है कि ये ना सिर्फ देश की सांस्कृतिक और नैतिक परंपरा के खिलाफ है बल्कि इसे मान्यता देने से पहले 28 कानूनों के 160 प्रावधानों में बदलाव करना होगा और पर्सनल लॉ से भी छेड़छाड़ करनी होगी।
सीजेआई ने समलैंगिकों के विवाह पर की ये टिप्पणी
चीफ जस्टिस ने कहा कि समलैंगिकों के साथ में आने पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं लग सकता। किसी विपरीत लिंग के संबंधों में ट्रांसजेंडर्स को मौजूदा कानून के तहत विवाह का अधिकार है। इसके अलावा अविवाहित जोड़े, यहां तक कि समलैंगिक भी साझा तौर पर बच्चे को गोद ले सकते हैं। https://sarthakpahal.com/