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मुजफ्फरनगर में चार हाथ-पैर वाले बच्चे का जन्म, सांस लेने में परेशानी पर मेडिकल कॉलेज में भर्ती

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मेरठ। मेडिकल कॉलेज में भर्ती एक चार हाथ-पैर बच्चा सुर्खियों में आ गया है, दरअसल यह नवजात बच्चा बाकि बच्चों की तरह ही देखने में भी स्वस्थ है, लेकिन इसके शरीर की बनावट अलग है। इस बच्चे के चार हाथ और चार पैर हैं। मुजफफरनगर के मंसूरपुर में सोमवार को जन्मे इस बच्चे को जन्म लेने के कुछ घंटे बाद ही सांस संबंधी परेशानी शुरू हो गई। घरवाले उसे लेकर तुरंत बेगराज मेडिकल कॉलेज पहुंचे, जहां से डॉक्टरों ने मेडिकल कॉलेज मेरठ के लिये रेफर कर दिया. अब यहीं मेरठ में उसका इलाज चल रहा है।

घर पर ही हुआ बच्चे का जन्म
नवजात का पिता इरफान पेशे से रिक्शा चालक है। उसने बताया कि 06 नवंबर को उनकी पत्नी रुखसार को प्रसव पीड़ा हुई। जिसके बाद दोपहर में घर पर ही बच्चे का जन्म हुआ था। इरफान ने बताया कि उसके पहले से तीन बेटियां हैं। जब पता चला कि बच्चे के चार हाथ-पैर हैं तो घर के सभी लोग परेशान हो गए। बच्चे को सांस संबंधी परेशानी होने के कारण मेडिकल कालेज मेरठ के लिये रेफर कर दिया गया।

नवजात की हालत फिलहाल स्थिर
मीडिया से बातचीत में मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉक्टर नवरतन गुप्ता ने बताया कि जब नवजात को मेडिकल कॉलेज मेरठ में भर्ती किया गया, तब उसे सांस लेने में दिक्कत थी। उसका उपचार किया जा रहा है। फिलहाल नवजात की हालत स्थिर बनी हुई है। डाक्टर ने कहा कि इस प्रकार की विकृति जुड़वां की जटिलता है। इसमें एक बच्चा तो पूरी तरह विकसित हो गया, लेकिन दूसरे बच्चे का विकास पूरा नहीं हुआ, जो एक में ही जुड़ गया। डॉक्टर नवरतन ने बताया कि देखने से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि एक ही बच्चे के चार हाथ-पैर हैं, जबकि ऐसा नहीं है। दो हाथ-पैर दूसरे अविकसित बच्चे के हैं।

इस प्रकार के बच्चों की जन्मजात विकृति 50 से 60 हजार में से किसी एक को ही होती है। यदि किसी माता-पिता का पहला और दूसरा बच्चा नार्मल हुआ है तो जरुरी नहीं है कि अगली जो भी संतान होगी भी सामान्य हो। कहा कि बच्चे के पिता चाहते हैं कि किसी प्रकार से इलाज मेडिकल कॉलेज में हो. इस बच्चे के अतिरिक्त अंगो को सर्जरी से हटाते हुए सामान्य बनाया जाए।

तीन माह गर्भवती के लिए महत्वपूर्ण
स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉक्टर रचना ने बताया कि जननी सुरक्षा योजना के मध्यम से लोगों को जानकारी दी जा रही है कि गर्भधारण के बाद कोई भी महिला प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र या जिला चिकित्सालय अथवा मेडिकल कॉलेज में स्त्री एवं प्रसूती रोग विशेषज्ञ से अवश्य सलाह लें। प्रथम तीन माह किसी भी गर्भवती के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण होते हैं, जिसमें कुछ दवाओं का सेवन कराया जाता है। इससे जन्मजात विकृति में कमी आती है। हर गर्भवती का जन्मजात विकृतियों के बारे में जानने के लिए अल्टासाउंड विशेषज्ञ द्वारा कराया जाना अति आवश्यक है। https://sarthakpahal.com/

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