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लोगों की जुबां पर छाया ‘मैं पहाड़ों कु रैबासी तू दिल्ली रौण वाली’..

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उत्तरकाशी, 4 मार्च। ‘मैं पहाड़ों को रैबासी तू दिल्ली रौण वाली…’ यह गढ़वाली गीत इन दिनों लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है। इस गीत को उत्तरकाशी के भेटियारा गांव के देश दीपक नौटियाल ने लिखा है। पेशे से इंजीनियर दीपक नौटियाल अब इसका पार्ट टू लाने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं, वो देहरादून शहर और बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ पर भी गीत लिख चुके हैं। इस गीत पर अब तरह-तरह के मीम्स भी बन रहे हैं।

इंग्लैंड में नौकरी कर रहे देश दीपक नौटियाल
बता दें कि उत्तरकाशी जिले के विकासखंड डुंडा के भेटियारा गांव निवासी 33 वर्षीय देश दीपक नौटियाल पेशे से इंजीनियर हैं। वो वर्तमान में इंग्लैंड के कैंब्रिज स्थित एक मोबाइल चिप डिजाइन करने वाली कंपनी में कार्यरत हैं। देश दीपक ने दसवीं और बारहवीं की राज्य मेरिट में पहला स्थान हासिल किया था। दीपक की बचपन से लेखन और साहित्य में रुचि रही। उनके लेख और कविताएं बालहंस, नंदन जैसी पत्रिकाओं के अलावा समाचार पत्रों में प्रकाशित हो चुके हैं।

दीपक बताते हैं कि कोरोना महामारी के दौरान जब लॉकडाउन हुआ तो उन्होंने गढ़वाली साहित्य में लिखना शुरू किया। देश दीपक ने बताया कि ‘पहाड़ों को रैबासी’ गाने का आइडिया उन्हें तब आया, जब वो गांव से शहर और विदेश आए। उस दौरान उन्हें लगा कि जिस शुद्ध हवा, पानी, स्विमिंग पूल पिकनिक के लिए शहरवासी पैसे खर्च करते हैं, वो तो गांव में फ्री में हैं।

लोक गायक सौरव मैठाणी को दिया श्रेय
गीतकार देश दीपक नौटियाल ने ‘पहाड़ों को रैबासी’ गीत को ऊंचाइयां देने के लिए इस गढ़वाली गीत के गायक सौरव मैठाणी की सराहना की है। उन्होंने बताया कि सौरव ने इस गीत को समझा और बिल्कुल सरलता से गाया है। जिस कारण यह लोगों के बीच पॉपुलर हो रहा है। हर किसी के जुबान पर यह गीत छाया हुआ है। अभी तक 3.2 M यानी मिलियन व्यूज यूट्यूब पर आ चुके हैं। वहीं, 125K रील्स इंस्टाग्राम पर बन चुके हैं। https://www.facebook.com/Sarthak_Pahal-101257265694407/

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