दिल्ली/देहरादून, 14 अप्रैल। सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद पतंजलि को एक और बड़ा झटका लगा है. बाबा रामदेव को ये झटका उत्तराखंड सरकार ने दिया है. पतंजलि की दिव्य फार्मेसी कंपनी के 14 प्रोडक्ट्स पर उत्तराखंड औषधि नियंत्रण विभाग के लाइसेंस प्राधिकरण ने बैन लगा दिया है.
भ्रामक विज्ञापन पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी फटकार
पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने पर सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव का फटकार लगाई थी. जिसके बाद अब उत्तराखंड सरकार ने शीर्ष अदालत को सूचित किया है कि राज्य औषधि लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने 14 पतंजलि उत्पादों के लाइसेंस निलंबित कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट में कल होने वाली महत्वपूर्ण सुनवाई से पहले, उत्तराखंड राज्य सरकार ने ये बड़ा कदम उठाया है. उत्तराखंड राज्य सरकार के डॉ. मिथिलेश कुमार- संयुक्त निदेशक/राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण (एसएलए), आयुर्वेदिक और यूनानी सेवाएं, देहरादून, उत्तराखंड के माध्यम से एक हलफनामा दायर किया है. हलफनामा वकील वंशजा शुक्ला के माध्यम से दायर किया गया है.
पतंजलि के बैन किये गये प्रोडक्ट्स
बैन किये गये प्रोडक्ट्स में – ‘स्वसारि गोल्ड’, ‘स्वसारि वटी, ब्रोंकोम’ , ‘स्वसारि प्रवाही’, ‘स्वसारि अवलेह’, ‘मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पावर’, ‘लिपिडोम’, ‘बीपी ग्रिट’, ‘मधुग्रिट’, ‘मधुनाशिनी वटी एक्स्ट्रा पावर’, ‘लिवमृत एडवांस’, ‘लिवोग्रिट’, ‘आईग्रिट गोल्ड ‘ और ‘पतंजलि दृष्टि आई ड्रॉप’ शामिल हैं. इन प्रोडक्ट्स पर बैन 1945 के नियम 159 (1) के तहत लगाया गया है.
सुप्रीम कोर्ट में आज फिर होगी सुनवाई
उत्तराखंड औषधि नियंत्रण विभाग के नोटिफिकेशन के मुताबिक दिव्य फार्मेसी की ओर से अपने उत्पादों की प्रभावशीलता के बारे में बार-बार भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए लाइसेंस को रोक दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने हाल के हफ्तों में अपने कुछ उत्पादों के भ्रामक विज्ञापनों को रोकने के निर्देशों का पालन नहीं करने के लिए पतंजलि आयुर्वेदा को फटकार लगाई थी. शीर्ष अदालत कल (30 अप्रैल) को पतंजलि के मामले की सुनवाई करेगी ताकि यह तय किया जा सके कि योग गुरु स्वामी रामदेव के खिलाफ अवमानना का आरोप लगाया जाए या नहीं. बता दें कि रामदेव ही पतंजलि आयुर्वेद के प्रमुख कर्ताधर्ता हैं.
इससे पहले आज, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. आरवी अशोकन ने कहा कि हमने पतंजलि को अदालत में इसलिए घसीटा क्योंकि स्वामी रामदेव ने सारी हदें पार कर दी थीं. उन्होंने कोरोनिल के जरिए कोविड-19 के इलाज का दावा किया था और मॉडर्न मेडिकल साइंस को बदनाम किया. समाचार एजेंसी पीटीआई के साथ एक साक्षात्कार में, अशोकन ने कहा कि रामदेव ने यह कहकर मेडिकल साइंस को बदनाम किया कि ‘आधुनिक चिकित्सा एक मूर्खतापूर्ण विज्ञान है.