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पूर्वजों और पितरों को याद करने के दिन आ गए, 17 सितम्बर से शुरू हो रहे हैं श्राद्ध

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हैदराबाद, 14 सितम्बर। सालभर देवी-देवताओं की पूजा करने का विधान है. सभी लोग ऐसा करते भी हैं. वहीं, साल के कुछ दिन ऐसे भी होते हैं, जब हम अपने पूर्वजों और पितरों का भी ध्यान करते हैं. ये दिन काफी महत्वपूर्ण होते हैं. जानकारों के मुताबिक ये साल के 15 दिन पितरों के लिए निर्धारित किए गए हैं. ये दिन बहुत खास होते हैं. आइये इस स्टोरी के माध्यम से जानते हैं कि पितृपक्ष 2024 कब से शुरू हो रहे हैं और इसके क्या मायने हैं.

लखनऊ के ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र के मुताबिक पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए साल में 15 दिन तय किए गए हैं. इन 15 दिनों को पितृपक्ष की संज्ञा दी गई है. हिंदू शास्त्र के मुताबिक इस दौरान हमारे सभी पूर्वज धरती पर आते हैं. इसी वजह से हमलोग उनका श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करते हैं.

उन्होंने कहा कि ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष 2024 में श्राद्ध करने से हमारे पितरों के प्रति जो कर्ज होता है, वह चुकता होता है. इससे जातकों को तो लाभ होता ही है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति भी होती है.

मंगलवार 17 सितम्बर से शुरू हो रहे पितृपक्ष 2024
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि भाद्रपद की पूर्णिमा से अमावस्या तक का समय पितरों का होता है. इस बार पितृपक्ष मंगलवार 17 सितंबर 2024 से शुरू हो रहे हैं, जो बुधवार 2 अक्टूबर 2024 तक चलेंगे.

ये हैं श्राद्ध की तिथियां
पूर्णिमा का श्राद्ध 17 सितंबर 2024 मंगलवार, प्रतिप्रदा 18 सितंबर, बुधवार, द्वितिया 19 सितंबर, गुरुवार, तृतीया 20 सितंबर, शुक्रवार, चतुर्थी 21 सितंबर, शनिवार, पंचमी 22 सितंबर, रविवार, षष्ठी 23 सितंबर, सोमवार, सप्तमी 23 सितंबर, सोमवार, अष्टमी 24 सितंबर, बुधवार, नवमी 25 सितंबर, गुरुवार, दशमी 26 सितंबर, शुक्रवार, एकादशी 27 सितंबर, शुक्रवार, द्वादशी 29 सितंबर, रविवार, मघा का श्राद्ध 29 सितंबर, रविवार, त्रयोदशी 30 सितंबर, सोमवार, चतुर्दशी 1 अक्टूबर, मंगलवार, सर्वपितृ श्राद्ध 2 अक्टूबर, बुधवार।

श्राद्ध करने का सही समय
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि हिंदू शास्त्रों के मुताबिक सुबह और संध्याकाल में सिर्फ देवी-देवताओं की पूजा करने का विधान है. दोपहर का समय पितरों के लिए निश्चित किया गया है. दोपहर में 12 बजे से 1 बजे के करीब श्राद्ध करें और पिंडदान करें. जब श्राद्ध संपन्न हो जाए तो सबसे पहले कौवे, कुत्ते, गाय, चींटी, देवता के लिए भोग निकालना चाहिए.

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