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प्रयागराज में मौनी अमावस्या के मौके पर सड़कों से लेकर गलियों तक सब फुल, 10 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद

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प्रयागराज, 28 जनवरी। प्रयागराज में हो रहे महाकुंभ में इस वक्त आस्था की सुनामी चल रही है. हर कोई प्रयागराज आना चाहता है. लेकिन पूरे महाकुंभ में पैर रखने की जगह नहीं है. 13 जनवरी से शुरू हुए महाकुंभ में अब तक करीब 15 करोड़ लोग गंगा में डुबकी लगा चुके हैं. लेकिन ये तो अभी शुरुआत है क्योंकि बुधवार को मौनी अमावस्या पर ही 10 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है. महाकुंभ में डुबकी लगाकर आत्मा की शुद्धि के लिए देश ही नहीं विदेशों से लोग प्रयागराज पहुंच रहे हैं.

संगम नगरी प्रयागराज में हो रहे महाकुंभ में भक्ति की शक्ति देखकर दुनिया हैरान है. चकित है कि आखिर भारत में ये क्या हो रहा है? महाकुंभ में मौनी अमावस्या से एक दिन पहले ही लोगों का हुजूम जुट गया. हर तरफ लोग ही लोग दिखाई दे रहे हैं. प्रयागराज की सड़कों से लेकर गलियां तक फुल हैं. रेलवे स्टेशन हो या फिर बस स्टैंड, कहीं पर भी पैर रखने तक की जगह नहीं है.

महाकुंभ नगर ने बना डाला रिकॉर्ड
दरअसल, संगम में स्नान करने के लिए देश दुनिया से लोग पहुंच रहे हैं. मौनी अमावस्या को लेकर श्रद्धालुओं में जोश कुछ ऐसा है कि वो हर तकलीफ उठाने को तैयार हैं. मौनी अमावस्या पर स्नान करने के जुनून की वजह से महाकुंभ नगर एक बार फिर विश्व का सबसे बड़ा जिला बन गया है. प्रयागराज की आबादी 5 करोड़ का आंकड़ा पार कर गई है. मंगलवार शाम छह बजे तक 4.64 करोड़ श्रद्धालुओं ने स्नान कर एक नया रिकॉर्ड बना डाला. इसमें अगर जिले की आबादी करीब 70 लाख जोड़ ली जाए, तो प्रयागराज में एक दिन की संख्या 5.34 करोड़ रिकॉर्ड की गई.

दस किलोमीटर चलकर स्नान करने पहुंच रहे लोग
कुंभ मेले में आ रहे कई बुजुर्ग चलने की भी हालत में नहीं हैं. फिर भी वो न सिर्फ महाकुंभ में पहुंचे हैं, बल्कि संगम में स्नान करने के लिए कम से कम दस किलो मीटर पैदल चलते हुए पहुंच रहे हैं. श्रद्धालु महाकुंभ में कई किलोमीटर दूर चलकर मुश्किल को पार करते हुए चले जा रहे हैं लेकिन फिर भी को उफ तक नहीं कर रहा. कई किलो मीटर पैदल चलकर आ रहे लोगों को दिक्कत नहीं है, उनके लिए महाकुंभ में आकर स्नान जरूरी लग रहा है.

मौनी अमावस्या पर संगम में डुबकी की होड़ क्यों?
दरअसल, मौनी अमावस्या पर संगम में डुबकी लगाने की होड़ मची है. हिंदू धर्म में माघ महीने में मौनी अमावस्या का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन गंगा या किसी दूसरी पवित्र में स्नान करने और दान करने से बहुत पुण्य मिलता है. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन सूर्य और चंद्रमा मकर राशि में होते हैं. जिससे इनकी सकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है. इसलिए इस दिन अच्छे कर्म का फल कई गुना ज्यादा मिलता है. इस दिन महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान भी है, लिहाजा इस दिन त्रिवेणी में स्नान का महत्व कई गुना ज्यादा बढ़ गया है. इसलिए लोग संगम तक पहुंचने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं.

इसी दिन मनु ऋषि का हुआ था जन्म
तो माना जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन मनु ऋषि का जन्म हुआ था. मनु शब्द से ही मौनी की उत्पत्ति हुई है. इस दिन पितरों को याद कर तर्पण करने से पितृगण प्रसन्न होते हैं. मौनी अमावस्या के दिन स्नान, दान, तप, व्रत कथा और पाठ करने का विधान है. इस दिन के कार्यों से यज्ञ और कठोर तपस्या करने जैसे फल की प्राप्ति होती है. दान शनि के दुष्प्रभावों से भी बचाता है. लेकिन सवाल ये है कि इस दिन मौन रहकर क्यों स्नान किया जाता है.

मौनी अमावस्य आत्म शुद्धि का दिन है. मान्यता है कि इस दिन मौन रहने और योग करने से मन को शांति मिलती है. पितृगण खुश होते हैं. इसलिए इस दिन लोग पुण्य पाने के लिए जरूरतमंदों को दान देने हैं. पवित्र नदियों में डुबकी लगाकर से शरीर और मन की आत्मा की शुद्धि करते हैं. और अगर ये मौका महाकुंभ में मिल जाए तो फिर कहने ही क्या. इसलिए चारों दिशाओं से श्रद्धालुओं का रेला प्रयागराज पहुंचने को बेताब हैं.

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