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चंपावत-अल्मोड़ा के किसी भी हाईस्कूल में स्थायी हेडमास्टर नहीं, प्रदेश में 1180 प्रधानाचार्य विहीन

पिथौरागढ़, 29 अप्रैल। प्रदेश के हाईस्कूल, इंटर काॅलेज प्रधानाचार्यों और प्रधानाध्यापकों की कमी से जूझ रहे हैं। 13 जिलों के 1385 इंटर काॅलेजों में से 205 में ही स्थायी प्रधानाचार्य हैं जबकि 1180 प्रधानाचार्य विहीन हैं। यही हालात प्रदेश के हाईस्कूलों के भी हैं। 910 हाईस्कूलों में से 79 में ही प्रधानाध्यापक तैनात हैं। 831 विद्यालयों में प्रधानाध्यापक नहीं हैं। इसके चलते प्रशासनिक कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
स्वतंत्रता संग्राम उत्तराधिकारी संगठन पिथौरागढ़ के मंत्री पंकज भट्ट ने आरटीआई के तहत प्रदेश के राजकीय इंटर काॅलेजों और राजकीय हाईस्कूलों में प्रधानाचार्यों और प्रधानाध्यापकों के रिक्त पदों की जानकारी मांगी थी। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के लोक सूचना अधिकारी आरआर सोलियाल की ओर से उपलब्ध कराई गई सूची के अनुसार राज्य में 910 हाईस्कूलों में 823 सामान्य जबकि 87 बालिका राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हैं।
पौड़ी जिले में राजकीय इंटर कालेजों में प्रधानाचार्यों के 186 पद सृजित हैं, जिनमें से केवल 17 पदों पर प्रधानाचार्य कार्य कर रहे हैं, जबकि 169 पद खाली हैं। वहीं, हाईस्कूल में 116 पद सृजित हैं, जिनमें से केवल 7 पदों पर प्रधानाध्यापक कार्यरत हैं, जबकि 109 पद खाली पड़े हैं। यही स्थिति अन्य जिलों की भी है।
कुमाऊं मंडल के चंपावत और अल्मोड़ा ऐसे जिले हैं जहां किसी भी हाईस्कूल में स्थायी प्रधानाध्यापक नहीं है। पिथौरागढ़ जिले में केवल एक ही हाईस्कूल में प्रधानाध्यापक नियुक्त हैं। शेष विद्यालय प्रभारियों के भरोसे चल रहे हैं। राज्य के अधिकतर विद्यालय पहले से ही शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं। ऐसे में शिक्षकों को ही प्रभारी प्रधानाचार्य और प्रधानाध्यापक का दायित्व सौंपे जाने से पठन-पाठन प्रभावित हो रहा है।