
देहरादून, 23 मई। उत्तराखंड में नई कीवी नीति 2025 लागू कर दी गई है. शासन द्वारा जारी आदेश के बाद राज्य सरकार किसानों को कीवी उत्पादन पर 70 फीसदी सहायता देने जा रही है. हालांकि,इस नीति में न केवल लाभार्थियों की केटेगरी तय की गई है बल्कि किन क्षेत्रों के लिए नीति का लाभ लाभार्थी ले पाएंगे. यह भी सुनिश्चित किया गया है.
उत्तराखंड कीवी नीति 2025 को लेकर शासन ने आदेश जारी कर दिया है. इसके तहत उत्तराखंड में कीवी की खेती करने वाले लोगों को 70% तक की सब्सिडी दिए जाने का निर्णय लिया गया है. राज्य सरकार अगले 6 सालों यानी 2031 तक के लिए कीवी नीति लेकर आई है. जिसमें कीवी के उत्पादन को 140 गुना बढ़ाने का लक्ष्य तय किया गया है. इसके लिए सरकार ने किसानों के लिए कीवी की खेती करने को लेकर कुछ शर्ते भी तय की हैं. जिन्हें पूरा करने वाले लोगों को सरकार 70 फ़ीसदी तक सब्सिडी मिलेगी.
31 मार्च 2031 तक प्रभावी रहेगी कीवी नीति
उत्तराखंड में कीवी नीति 2025 को 31 मार्च 2031 तक के लिए प्रभावी किया गया है. हालांकि इस नीति के तहत कीवी बागवानी के लिए जिलों और विकासखंडों को भी चिन्हित किया गया है. इस योजना का लाभ देहरादून जिले में चकराता कालसी और रायपुर विकासखंड में मिलेगा. इसी तरह उत्तरकाशी के भटवाड़ी, डुंडा, मोरी, पुरोला चिन्यालीसौड़ और नौगांव को चिन्हित किया गया है. टिहरी जिले में चंबा, धौलधार, जौनपुर, भिलंगना, प्रतापनगर, कीर्ति नगर और जाखणीधार क्षेत्र चिह्नित हुए हैं.
पौड़ी में बीरोंखाल और रिखणीखाल भी चिन्हित
पौड़ी जिले में कलजीखाल, कोट, खिरसू, पौड़ी, पोखड़ा, नैनीडॉडा, बीरोंखाल और रिखणीखाल को चिन्हित किया गया है. रुद्रप्रयाग जिले में जखोली, अगस्तमुनि, ऊखीमठ, चमोली जिले में दसोली, जोशीमठ, पोखरी, घाट, देवाल, कर्णप्रयाग, गैरसैन, नारायण बगड़, और थराली को चिन्हित किया गया है. इसी तरह नैनीताल में रामगढ़ ओखल कांडा, धारी, भीमताल और बेतालघाट को चिन्हित किया है. अल्मोड़ा में हवालबाग, ताकुला, लमगड़ा, धौलादेवी, ताड़ीखेत, द्वाराहाट और सल्ट को चिन्हित किया गया है. पिथौरागढ़ में बीन, मुनाकोट, कनालीछिना, डीडीहाट, बेरीनाग, गंगोलीहाट मुनस्यारी और धारचूला को चिन्हित किया गया है. बागेश्वर में कपकोट, गरुड़ और बागेश्वर, जबकि चंपावत जिले में चंपावत, लोहाघाट, पाटी, बाराकोट क्षेत्र को चिन्हित किया गया है.
राज्य सरकार की कोशिश है कि इस नीति के जरिए किसानों को तकनीकी, वित्तीय और क्रियान्वयन सहायता दी जाए. राज्य सरकार का नीति के तहत लक्ष्य या 2030 तक 3500 हेक्टेयर क्षेत्र में कीवि उद्यान लगाना है. इसके तहत राज्य सरकार प्रति एकड़ भूमि पर 12 लाख की लागत के हिसाब से सब्सिडी देगी.देश विदेश की ताजा खबरों के लिए देखते रहिये https://sarthakpahal.com/
सब्सिडी पाने वालों के लिए शर्तें निर्धारित
इस नीति के तहत सब्सिडी का लाभ पाने वाले पात्र को लेकर भी शर्तें तय की गई हैं. इसमें किसान, पंजीकृत सहकारी संघ, सहायता समूह, या कोई भी पंजीकृत पट्टा धारक ही पात्र होंगे. पट्टाधारक द्वारा 25 साल के लिए कृषि योग्य भूमि पट्टे पर ली होनी चाहिए. इसमें कम से कम .04 हेक्टेयर से लेकर 1 हेक्टेयर तक की जमीन के क्षेत्रफल पर व्यक्तिगत लाभार्थी को 70% अनुदान, किसी समूह के लिए 70 फ़ीसदी सब्सिडी के लिए यह शर्त 5 हेक्टेयर क्षेत्रफल तक लागू होगी. 1 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन के क्षेत्रफल पर व्यक्तिगत लाभार्थी को 50% सब्सिडी और समूह की स्थिति में 5 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल पर 50% सरकारी सहायता दी जाएगी.
इसमें 1200000 प्रति एकड़ के आधार पर सब्सिडी दी जाएगी. जिसमें 70% सब्सिडी के बाद 30% धनराशि स्वयं लगानी होगी. इसी तरह 50% की सब्सिडी मिलने पर बाकी 50% की धनराशि स्वयं वहन करनी होगी. नीति के तहत योजना का लाभ जनपद स्तर पर गठित समिति द्वारा किया जाएगा. इसके लिए आवेदक को ऑनलाइन आवेदन करना होगा, जबकि किसानों और समूहों का चयन पहले आओ पहले पाओ के आधार पर किया जाएगा. उत्तराखंड के निवासी को ही इस नीति का लाभ मिल पाएगा. एक परिवार को एक ही बार सब्सिडी का लाभ दिया जाएगा. विभाग योजना का तीसरे पक्ष के माध्यम से निरीक्षण और समीक्षा भी कराएगा.