
उत्तरकाशी, 5 अगस्त। उत्तरकाशी के धराली में आए सैलाब में गांववालों ने लोगों को आगाह करने के लिए लगातार सीटियां बजाईं, फिर भी तमाम लोग भरसक कोशिश करने के बाद भी मौत के आगोश में खो गए। कई लोग जिंदगी बचाने के लिए अंतिम दम तक संघर्ष करते रहे। वीडियो में कई लोग मलबे में दबते दिखे। बचे लोग पहाड़ी पर बैठकर अपने ईष्ट देवी-देवताओं से अपनों की सुरक्षा की प्रार्थना करते रहे।
धराली में सैलाब की खबर सबसे पहले मुखबा के ग्रामीणों को मिली
धराली की खीर गंगा में सैलाब आते ही इसकी सबसे पहले जानकारी सामने स्थित मुखबा गांव के ग्रामीणों को मिली क्योंकि मुखबा से धराली गांव के ऊपर क्षेत्र की पहाड़ियां दिखती हैं। जैसे ही पहाड़ी से खीर गंगा में पानी के साथ मलबे का गुबार नीचे की तरफ आया। वहां के ग्रामीणों ने धराली के लोगों को आगाह करने के सीटियां बजानी शुरू कीं। उसके बाद कुछ लोग तो घरों और होटलों से बाहर निकल कर सुरक्षित स्थानों की तरफ भाग गए थे, लेकिन कुछ लोग खतरे को भांप नहीं पाए और मलबे में दब गए।
मलबा आने के कारण और आवासीय बस्ती को खतरा
कई लोग सैलाब से बचने की कोशिश अंतिम दम तक संघर्ष करते रहे। उसके बाद पूरा मलबा बाजार में घुसने के कारण कई लोग होटलों और बगीचों में फंस गए थे। सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंची हर्षिल पुलिस और सेना ने कई लोगों को वहां से निकालकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। वहीं धराली में देर शाम तक खीर गंगा के दूसरी ओर भी लगातार मलबा आने के कारण आवासीय बस्ती के लिए खतरा हो गया है। खीर गंगा में कई बार जलस्तर बढ़ने के कारण वहां पर बाजार और आसपास के क्षेत्रों में नुकसान हुआ था। वहां पर नदी का जलग्रहण क्षेत्र कम होने और तेज ढाल की वजह से पानी तेजी से नीचे की ओर आता है। इसीलिए मंगलवार को बादल फटने के बाद मलबा और पानी तेजी से धराली बाजार तक पहुंचा, जिससे किसी को संभलने का मौका नहीं मिला।
धराली में खीर गंगा पहले भी कर चुकी है नुकसान
धराली में खीर गंगा में यह पहली बार नहीं हुआ कि उसका जलस्तर बढ़ने के कारण आसपास के क्षेत्र को नुकसान हुआ है। इसके बाद भी स्थानीय लोग नहीं चेते और न ही शासन-प्रशासन की ओर से सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतजाम किए गए। हालांकि वर्ष 2023 में खीर गंगा के बढ़ते जलस्तर के कारण वहां पर कई दिनों तक गंगोत्री हाईवे भी बंद रहा था। साथ ही दुकानों और होटलों को भी नुकसान हुआ था। देश विदेश की ताजा खबरों के लिए देखते रहिये https://sarthakpahal.com/
उसके बाद वहां पर सुरक्षात्मक कार्य तो हुए लेकिन नदी का स्पैन कम होने के कारण वह विनाशकारी आपदा को नहीं रोक पाया। इससे पूर्व वर्ष 2017-18 में भी खीरगंगा का जलस्तर बढ़ने के कारण होटलों, दुकानों और कई घरों में मलबा घुसा था। उस समय भी आपदा से उभरने में लोगों को करीब एक वर्ष का समय लग गया था। हालांकि उस समय किसी प्रकार की जिंदगी को नुकसान नहीं हुआ था।