अब ऑनलाइन नहीं कर पाएंगे हेल्थकेयर कोर्स, UGC ने लगाई रोक, जुलाई 2025 से लागू होगा नया नियम!

नई दिल्ली, 16 अगस्त। यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) ने ऑनलाइन एजुकेशन को लेकर एक अहम फैसला लिया है। इसके तहत हेल्थकेयर और एलाइड कोर्स को ऑनलाइन व ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग मोड से हटाए जा रहे हैं। यह बदलाव एकेडमिक सेशन 2025-26 (जुलाई-अगस्त से शुरू होने वाला) से लागू होगा। यह कदम नेशनल कमीशन फॉर एलाइड एंड हेल्थकेयर प्रोफेशन्स (NCAHP) एक्ट, 2021 के तहत उठाया गया है।
इस फैसले से सायकोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, बायोटेक्नोलॉजी जैसे अहम सब्जेक्ट्स पर असर पड़ेगा। इतना ही नहीं अब किसी भी तरह की मनमानी नहीं चलेगी। क्योंकि फॉरेन यूनिवर्सिटीज और अनअप्रूव्ड प्रोग्राम्स से जुड़े कोर्सेस पर भी यूजीसी ने सख्ती बढ़ा दी है।
ऑनलाइन नहीं चलेंगे हेल्थकेयर कोर्स
यूजीसी ने सभी उच्च शिक्षा संस्थानों (HEIs) को निर्देश जारी किए हैं। इसमें कहा गया है कि 2025-26 सेशन से हेल्थकेयर और एलाइड कोर्स को ऑनलाइन या ODL मोड में संचालन बंद करें। जानकारी के मुताबिक यह फैसला 24वें डिस्टेंस एजुकेशन ब्यूरो वर्किंग ग्रुप की अप्रैल 2025 की बैठक और यूजीसी की 592वीं बैठक (23 जुलाई 2025) में औपचारिक रूप से लिया गया।
किन-किन विषयों पर पड़ेगा असर
इस बैन से साइकोलॉजी (Psychology), माइक्रोबायोलॉजी (Microbiology), फूड एंड न्यूट्रीशन साइंस (Food and Nutrition Science), बायोटेक्नोलॉजी (Biotechnology), क्लिनिक न्यूट्रीशन (Clinical Nutrition) और डाइटेटिक्स (Dietetics) जैसे कोर्स प्रभावित होंगे। वहीं, मल्टी-स्पेशलाइजेशन डिग्री में सिर्फ हेल्थकेयर वाले हिस्से को हटाया जाएगा। जैसे कि अगर किसी BA प्रोग्राम में Psychology एक विषय है, तो सिर्फ Psychology को ODL या ऑनलाइन से हटाया जाएगा, बाकी विषय वैसे ही रहेंगे।
ऑनलाइन हेल्थकेयर कोर्स में नहीं होंगे नए एडमिशन
यूजीसी ने यह स्पष्ट किया है कि ऐसे संस्थान, जिन्हें पहले ही इन कोर्स को ऑनलाइन या ODL मोड में संचालित की मंजूरी दी जा चुकी थी, उनकी मान्यता भी अब वापस ले ली जाएगी। HEIs को साफ निर्देश हैं कि वे 2025-26 से इन कोर्स में नए स्टूडेंट्स को एडमिशन न दिया जाए।
फॉरेन यूनिवर्सिटी के सहयोग पर सख्ती
यूजीसी ने यह भी स्पष्ट किया है कि अनधिकृत विदेशी सहयोग (Foreign Collaborations) और बिना मान्यता वाले कोर्स मान्य नहीं होंगे। साल 2022 और 2023 के जॉइंट और ड्यूल-डिग्री फ्रेमवर्क के तहत किसी संस्थान ने बिना यूजीसी अप्रूवल विदेशी संस्थानों से टाई-अप किया है, तो उनके कोर्स अमान्य माने जाएंगे। इतना ही नहीं यूजीसी का तो साफ तौर पर कहना है कि यह चेतावनी 12 दिसंबर 2023 को भी जारी की थी, लेकिन कई कॉलेज और EdTech प्लेटफॉर्म ने इसे इग्नोर किया और वे अब तक बिना अनुमति वाले ऑनलाइन या जॉइंट प्रोग्राम ऑफर कर रहे थे।
छात्रों की सुरक्षा के लिए कदम
यूजीसी की ओर से लिए गए इस फैसले पर एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह कदम छात्रों को उन कोर्सों से बचाने के लिए लिया गया है, जो हायर एजुकेशन और जॉब के लिए मान्य न हों। खासकर हेल्थकेयर जैसे क्षेत्र में, जहां नौकरी और उच्च शिक्षा के लिए वैलिड सर्टिफिकेट होना मेंडेटरी हैं। हेल्थकेयर और एलाइड डिसिप्लिन्स में प्रोफेशनल रिकग्निशन बहुत जरूरी है, इसलिए ऑनलाइन और ODL मोड से हटाए जा रहे हैं।
ऑनलाइन एजुकेशन पर कड़ा नियंत्रण
यूजीसी अब ऑनलाइन शिक्षा को लेकर ज्यादा सख्ती बरत रहा है। छात्रों और संस्थानों दोनों को नियमों को मानने की चेतावनी दी गई है। छात्रों को यह भी सलाह दी गई है कि वे केवल यूजीसी मान्यता प्राप्त कोर्स में ही एडमिशन लें, नहीं तो उन्हें आगे चलकर डिग्री अमान्य होने या कानूनी परेशानियों का सामना न करना पड़ सकता है।