उत्तराखंड से मंजूबाला को मिलेगा राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार, 3 सितंबर को राष्ट्रपति करेंगी सम्मानित

चंपावत, 30 अगस्त। शिक्षक समाज का शिल्पकार होता है. शिक्षक की सीख से ही समाज आकार लेता है. ऐसे में समाज में शिक्षकों का स्थान सर्वोच्च होता है. जिसके कारण ही शिक्षकों को भगवान से पहले पूजा जाता है. शिक्षकों के सम्मान के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार दिए जाते हैं. जिसमें इस बार उत्तराखंड के चंपावत के बाराकोट ब्लॉक की शिक्षिका मंजूबाला को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2025 के लिए चुना गया है. मंजूबाला को आगामी 3 सितंबर को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया जाएगा. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मंजूबाला को सम्मानित करेंगी.
शैलेश मटियानी, तीलू रौतेली, आयरन लेडी सहित कई पुरस्कार पा चुकी हैं
मंजूबाला चंपावत के च्यूरानी प्राथमिक विद्यालय में 2005 से प्रधानाध्यापिका के पद पर तैनात हैं. उनकी तैनाती सालों से इस इलाके के दुर्गम विद्यालय में है. 2011 में उन्होंने स्कूल को जिले का पहला इंग्लिश मीडियम स्कूल बनाने में सहयोग दिया. मंजूबाला के शिक्षा में योगदान को देखते हुए उन्हें राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2025 दिया जा रहा है. इससे पहले मंजूबाला को शैलेश मटियानी पुरस्कार, तीलू रौतेली पुरस्कार, आयरन लेडी पुरस्कार, एमएचआरडी से टीचर ऑफ द ईयर पुरस्कार मिल चुका है.
केवल छह बच्चे पढ़ते हैं इनके स्कूल में
मंजूबाला बच्चों को पढ़ाने के लिए आज भी कई किलोमीटर पैदल चलती हैं. उनका स्कूल दुर्गम इलाके में है, जिसके कारण उन्हें यहां तक पहुंचने के लिए पैदल ही सफर करना पड़ता है. जिस स्कूल में मंजूबाला पढ़ाती हैं वहां केवल 6 बच्चे पढ़ते हैं. इसके बाद मंजूबाला यहां नियमित क्लासेस लेती हैं. वो यहां बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं.
हिंदी, अंग्रेजी के साथ कुमाऊंनी भी सिखाई जाती है
मंजूबाला बच्चों को हिंदी, अंग्रेजी के साथ कुमाऊंनी बोली भी सिखाती हैं. वो स्कूल के बाद भी बच्चों को पढ़ाती हैं. ये शिक्षा के प्रति उनका जूनून ही है कि उन्होंने नियमित क्सासेस के साथ ही इवनिंग कक्षाएं शुरू की. वो ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा को लेकर लोगों को जागरुक करने का भी काम करती हैं. इसके साथ ही मंजूबाला स्काउट एवं गाइड में भी अपना योगदान दे रही हैं.