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उत्तराखंड में फिर फटा बादल:… मलबे में दबी कारें, घरों-दुकानों में घुसा पानी; लोगों ने खाली किए घर videos

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उत्तरकाशी, 6 सितम्बर। उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में यमुनोत्री नेशनल हाईवे से लगे नौगांव बाज़ार क्षेत्र में शनिवार को अतिवृष्टि ने काफी तबाही मचाई. अचानक आई आपदा से स्थानीय गधेरे (छोटे नाले) उफान पर आ गए और मलबा रिहायशी इलाकों में घुस गया. एक आवासीय भवन पूरी तरह मलबे में दब गया, जबकि आधा दर्जन से अधिक मकानों और दुकानों में पानी भर गया. मलबे में एक मिक्चर मशीन और कई दोपहिया वाहन बह गए, वहीं एक कार भी मलबे में दब गई है.

ज़िलाधिकारी प्रशांत आर्या ने बताया कि शनिवार शाम को स्योरी फल पट्टी क्षेत्र में भारी बारिश हुई. इसके बाद देवलसारी गधेरे में उफान आ गया और उसका मलबा निचले इलाकों में घुस गया. इस हादसे के बाद दिल्ली-यमुनोत्री हाईवे बंद करना पड़ा, जिससे ट्रैफिक जाम हो गया.

सीएम धामी ने दिए दिशा-निर्देश
वहीं, उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट कर कहा कि जनपद उत्तरकाशी के नौगांव क्षेत्र में अतिवृष्टि से नुकसान की सूचना मिलते ही जिलाधिकारी से तत्काल वार्ता कर राहत एवं बचाव कार्यों को युद्धस्तर पर संचालित करने के निर्देश दिए. जिला प्रशासन, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ के दल प्रभावित क्षेत्र के लिए रवाना हो चुके हैं. प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर तुरंत पहुंचाने के साथ ही हर संभव मदद में किसी भी प्रकार की देरी न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए भी स्पष्ट रूप से निर्देशित किया है.

साल 2010 के बाद अब तक की सबसे ज्यादा बारिश
उत्तराखंड में इस बार मानसून के दौरान 574 मिमी बारिश दर्ज की गई है, जिसे विनोद कुमार सुमन ने 2010 के बाद अब तक की सबसे अधिक वर्षा बताया है. भारी बारिश से प्रदेश में जान-माल का बड़ा नुकसान हुआ है. केंद्रीय टीम उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, पौड़ी, बागेश्वर और नैनीताल का दौरा करेगी. राज्य सरकार ने आपदा से हुए नुकसान की भरपाई और भविष्य के लिए बुनियादी ढांचे को मज़बूत करने के लिए केंद्र से 5702.15 करोड़ रुपये के विशेष पैकेज की मांग की है.

प्राकृतिक आपदाओं से नुकसान का जायज़ा लेगी केंद्र की टीम
बता दें कि इस मानसून में लगातार प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित उत्तराखंड में नुकसान का आकलन करने के लिए 7 सदस्यीय अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीम 8 सितंबर को राज्य का दौरा करेगी. समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक राज्य आपदा प्रबंधन और पुनर्वास सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि 8 सितंबर को ही देहरादून में केंद्र की टीम के साथ बैठक होगी. टीम का नेतृत्व केंद्रीय गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव आर. प्रसन्ना करेंगे. उन्होंने बताया कि जल्द ही पोस्ट-डिजास्टर नीड असेसमेंट (PDNA) की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, ताकि आपदाओं से हुए वास्तविक नुकसान का आकलन किया जा सके.

IIT रुड़की के विशेषज्ञों ने रिपोर्ट ने बढ़ाई टेंशन
उत्तराखंड के चार पर्वतीय जिलों में भूकंप से भूस्खलन का बड़ा खतरा है। इनमें रुद्रप्रयाग सबसे अधिक संवेदनशील है। पहली बार आईआईटी रुड़की के आपदा प्रबंधन और मानवीय सहायता उत्कृष्टता केंद्र के विशेषज्ञों ने जिलावार अध्ययन करके भूकंप से भूस्खलन के खतरों पर शोध रिपोर्ट जारी की है जो दो अगस्त को ही अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित हुई है।

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