
देहरादून, 6 सितम्बर। सात अगस्त को साल का दूसरा चंद्रग्रहण है। साथ ही कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर श्राद्ध भी शुरू हो जाएंगे। इसमें पितरों को तर्पण, पिंडदान, दान और श्राद्ध किया जाएगा। चंद्रग्रहण पर रविवार को करीब 12 घंटे तक सूतक काल रहेगा। ऐसे में मंदिरों के कपाट भी बंद रहेंगे। आचार्य डॉ. सुशांत राज ने बताया कि साल का दूसरा चंद्रग्रहण रविवार को भारत में दिखेगा।
चंद्र ग्रहण का समय और अवधि
चंद्र ग्रहण 7 सितंबर की रात 9 बजकर 58 मिनट पर लगेगा और देर रात 1 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगा. लेकिन इसे भारत में देखने का सबसे अच्छा समय रात 11 बजे से रात 12 बजकर 22 मिनट के बीच रहेगा. कुल मिलाकर, यह ग्रहण लगभग 3 घंटे 29 मिनट तक चलेगा, जिसमें पूर्ण चंद्र ग्रहण की अवधि 1 घंटा 22 मिनट होगी. चंद्रग्रहण भारत में भी दिखेगा इसलिए सूतक काल भी मान्य होगा। उत्तराखंड विद्वत सभा के पूर्व अध्यक्ष विजेंद्र प्रसाद ममगाईं ने बताया कि चंद्रग्रहण से नौ घंटे पहले ही सूतक काल लग जाता है। ऐसे में सूतक काल रविवार दोपहर 12:57 बजे से ही शुरू हो जाएगा और ग्रहण समापन तक रहेगा। इस बीच पूजा-पाठ करना या फिर देवी-देवताओं की मूर्ति को स्पर्श करने से बचना चाहिए। उन्होंने बताया कि सूतक काल में तुलसी के पत्ते तोड़ने की भी मनाही होती है। चंद्रग्रहण के नियमों का सबसे ज्यादा ध्यान गर्भवती महिलाओं को रखना चाहिए। वहीं, रविवार से ही पितृ पक्ष शुरू होंगे।
अगर आप भी देखना चाहते हैं पूर्ण चंद्र ग्रहण का अद्भुत नजारा तो यूकॉस्ट देगा यहां मौका
अद्भुत खगोलीय घटना ब्लड मून को अगर आप भी देखना चाहते हैं तो झाझरा स्थित उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकॉस्ट) पहुंच सकते हैं। सात सितंबर को यहां शाम सात से रात एक बजे तक टेलिस्कोप से पूर्ण चंद्रग्रहण देखने का मौका मिलेगा। यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत ने कहा कि यह सिर्फ खगोल विज्ञान का विषय नहीं बल्कि हमारे और ब्रह्मांड के बीच गहरे संबंध को महसूस करने का अवसर है।
चंद्र ग्रहण देखने के लिए किसी विशेष उपकरण की आवश्यकता नहीं
यह दृश्य बेहद मोहक और अद्भुत होता है। खास बात यह है कि चंद्र ग्रहण को देखने के लिए किसी विशेष उपकरण की आवश्यकता नहीं है। यूकॉस्ट की विशेषज्ञ टीम ग्रहण के हर चरण की जानकारी देगी। सवालों के जवाब देगी और वैज्ञानिक तथ्यों के साथ–साथ प्राचीन पौराणिक कथाओं से जुड़े रोचक पहलुओं पर भी प्रकाश डालेगी। कार्यक्रम शाम सात बजे से शुरू होगा। मुख्य ग्रहण अवधि रात नौ बजे से एक बजे तक रहेगी।
दुनिया की 85 फीसद आबादी देख सकेगी चंद्र ग्रहण
यह चंद्र ग्रहण पूरी दुनिया की लगभग 85 प्रतिशत आबादी को दिखाई देगा. भारत के विभिन्न शहरों के अलावा, चंद्र ग्रहण एशिया, यूरोप, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूदीलैंड में दिखाई देगा. लेकिन उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका के लोग इसे नहीं देख पाएंगे, क्योंकि वहां चांद के निकलने से पहले ही ग्रहण समाप्त हो जाएगा.
क्या होता है ब्लड मून?
खगोलविदों के अनुसार, इस चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा लाल रंग का दिखाई देगा. इसे ब्लड मून कहा जाता है. सूर्य की किरणें जब पृथ्वी के वायुमंडल से होकर चांद तक पहुंचती हैं तो नीली रोशनी बिखर जाती है और लाल रोशनी अधिक मात्रा में पहुंचती है. यही कारण है कि पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान चांद लाल रंग का दिखाई पड़ता है.
चंद्र ग्रहण में क्या करें?
हिंदू धर्म में चंद्र ग्रहण का विशेष महत्व बताया गया है. मान्यताएं हैं कि कि इस दौरान लोग मंत्र जाप, ध्यान और दान-पुण्य करते हैं. ग्रहण काल में किया गया जप और तप सैकड़ों गुना अधिक फलदायी माना जाता है. ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करने और घर में शुद्धिकरण के लिए गंगाजल छिड़कने की परंपरा है. चंद्र ग्रहण समाप्त होने के बाद सामर्थ्य के अनुसार दान करना चाहिए।