
देहरादून, 7 सितम्बर। गौरा देवी शिक्षक सम्मान समिति द्वारा संस्कृति विभाग प्रेक्षागृह में जनपद देहरादून के शिक्षकों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत बतौर मुख्य अतिथि एवं पूर्व राज्य मंत्री महावीर सिंह मंत्री और कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल सिंह बिष्ट बतौर विशिष्ट अतिथि मौजूद रहे।
चिपको नारी गौरी देवी पर डाक्यूमेंट्री दिखाई गयी
कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों एवं संगठन के पदाधिकारी द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। तत्पश्चात बच्चों द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई। कार्यक्रम में भारत के द्वितीय राष्ट्रपति डाॅ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवनवृत्त पर प्रकाश डाला गया तथा चिपको वूमन गौरा देवी पर डाक्यूमेंट्री भी प्रदर्शित की गई। कार्यक्रम के संयोजक महेन्द्र सिंह नेगी गुरूजी एवं शिक्षक संगठनों के पदाधिकारियों द्वारा मुख्य अतिथियों का बैज अलंकरण, माल्यार्पण, अंगवस्त्र एवं पुष्पगुच्छ भेंटकर स्वागत एवं अभिनंदन किया गया।
कार्यक्रम में राजकीय शिक्षक संघ के अध्यक्ष राम सिंह चौहान, जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रदेश संरक्षक सतीश घिल्डियाल, मीडिया प्रभारी विपिन मेहता, जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ देहरादून के अध्यक्ष सूरज मंद्रवाल, जिला मंत्री अश्विनी भट्ट, अशासकीय माध्यमिक शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष अनिल नौटियाल, मंत्री विजय पाल जगवान, उपाध्यक्ष दिनेश डोबरियाल, शिक्षक नेता सुभाष झिलडियाल, राजकीय शिक्षक संघ के जनपद मंत्री अर्जुन पंवार, प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह रावत का पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत एवं महेंद्र सिंह नेगी गुरूजी द्वारा माल्यार्पण कर सम्मानित किया गया।
गुरु की कृपा के बिना जीवन की सार्थकता अकल्पनीय
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि गुरू ही अपने शिष्य को ईश्वर का ज्ञान कराता है। गुरु की कृपा के बिना जीवन की सार्थकता अकल्पनीय है। संसार में जितने भी महापुरुष हुए हैं उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय गुरु को दिया है। उन्होंने समस्त शिक्षकों को आश्वासन दिया कि टीईटी परीक्षा के वर्तमान हालातों से किसी भी शिक्षक का अहित नही होने दिया जाएगा क्योंकि पूर्व से नियुक्त शिक्षक तद्समय की नियमावली के अनुसार नियुक्त हुए हैं।
कार्यक्रम के संयोजक महेंद्र सिंह नेगी गुरूजी ने कहा कि शिक्षक हमारे जीवन के वो दीपक है जो अंधेरे में हमें ज्ञान का प्रकाश दिखाते हैं। वे न केवल हमें किताबी ज्ञान देते हैं बल्कि जीवन के मूल्योंए नैतिकता और आत्मविश्वास को भी सिखाते हैं।