
मोरी (उत्तरकाशी), 9 सितम्बर। मोरी ब्लॉक की तीन पट्टियों पंचगाई, अडोर और बडासु के 22 गांवों के आराध्य देव सोमेश्वर देवता का पारंपरिक देवगोति मेला (जातरा) मंगलवार को गंगाड़ गांव में सम्पन्न हुआ। यह मेला श्रावण मास के बाद शुरू होकर पहले बडासु पट्टी के ढाटमीर गांव में 10-11 दिन तक चलता है। इसके बाद गंगाड़ और ओसला गांवों में आयोजित किया जाता है।
मंगलवार को अंतिम दिन डोली नृत्य हुआ
मेले के दौरान दिन में देवता की पूजा-अर्चना और रात्रि में दीया-बाती के बाद पारंपरिक गीतों पर ग्रामीणों ने रातभर नृत्य और गायन कर उत्सव को जीवंत बनाए रखा। इस दौरान पुरुष, महिलाएं, युवा और बुजुर्ग सभी वर्गों ने उत्साहपूर्वक भागीदारी की। मंगलवार को गंगाड़ गांव में मेले के अंतिम दिन सोमेश्वर देवता की पूजा के बाद डोली का नृत्य हुआ। भक्तों ने देवता से क्षेत्र की सुख-समृद्धि और कुशलता की कामना की।
भेड़पालक बुग्यालों से वापस गांव पहुंचते हैं इसी दिन
इस मेले का महत्व इसलिए भी है क्योंकि इसी समय भेड़पालक अपनी भेड़-बकरियों को बुग्यालों से वापस गांव लेकर आते हैं। मेहमानों का स्वागत ढोल-नगाड़ों के साथ किया गया और उन्हें पारंपरिक पहाड़ी व्यंजन कंडाली का साग, फापरे व ओगले की पोली, मंडुवे की रोटी और बाड़ी परोसी गई।
धार्मिक और सांस्कृतिक आस्था का प्रतीक है देवगोति मेला
देवगोति मेले में 22 गांवों के सियाणे-भंडारी, देवता के पुजारी और बाजगी वर्ग भी शामिल हुए। गंगाड़ गांव के ग्रामीण रमेश चौहान, न्याल सिंह, बरु सिंह, कृपा सिंह और बाहर से आए मेहमानों में चैन सिंह रावत, विद्वान सिंह, लायवर सिंह आदि ने मेले में सक्रिय भागीदारी की। यह मेला न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक आस्था का प्रतीक है बल्कि क्षेत्र की लोक परंपराओं, रीति-रिवाजों और आपसी मेल-मिलाप को भी सुदृढ़ करता है।