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‘हम कभी बंट गए थे, लेकिन वह भी मिला लेंगे’, ब्रिटेन को आईना दिखाते हुए मोहन भागवत का बड़ा बयान

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इंदौर, 14 सितम्बर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को ब्रिटेन का आईना दिखाते हुए बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा, ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने एक बार कहा था कि (ब्रितानी शासन से) स्वतंत्र होने पर तुम (भारत) टिक नहीं सकोगे और बंट जाओगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. अब खुद इंग्लैंड बंटने की स्थिति में आ रहा है, पर हम नहीं बंटेगे. हम आगे बढ़ेंगे. हम कभी बंट गए थे, लेकिन वह भी हम मिला लेंगे फिर से.” दरअसल रविवार को इंदौर में मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल की पुस्तक ‘परिक्रमा कृपा सार’ का विमोचन करने के बाद RSS प्रमुख मोहन भागवत ने भारत के विकास और भविष्य पर ये बातें कही.
‘ज्ञान, कर्म और भक्ति की संतुलित त्रिवेणी से आगे बढ़ रहा भारत’
मोहन भागवत ने कहा, ‘ज्ञान, कर्म और भक्ति की संतुलित त्रिवेणी’ के पारंपरिक दर्शन पर श्रद्धा रखने की बदौलत भारत सबकी भविष्यवाणियां झूठी साबित करके लगातार आगे बढ़ रहा है. उन्होंने यह बात ऐसे वक्त कही जब देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में उम्मीद से बेहतर 7.80 प्रतिशत रही है. अमेरिका की ओर से भारी शुल्क लगाए जाने से पहले की पांच तिमाहियों में यह सबसे अधिक है.
संघ प्रमुख ने कहा कि भारतीय नागरिकों के पूर्वजों ने अनेक पंथ-संप्रदायों के माध्यम से कई रास्ते दिखाकर सबको बताया है कि ज्ञान, कर्म और भक्ति की संतुलित त्रिवेणी जीवन में कैसे बहाई जाती है. भागवत ने कहा कि भारत जीवन जीने के इस पारंपरिक दर्शन पर आज भी श्रद्धा रखता है, इसलिए सबकी भविष्यवाणियां झूठी साबित करके देश विकास के पथ पर लगातार आगे बढ़ रहा है.
3000 सालों तक दुनिया का सिरमौर था भारतः भागवत
संघ प्रमुख ने कहा,’ निजी स्वार्थों के कारण ही दुनिया में अलग-अलग संघर्ष चलते हैं और सारी समस्याएं सामने आती हैं. उन्होंने यह भी कहा कि भारत जब 3,000 वर्षों तक दुनिया का सिरमौर था, तब दुनिया में कोई कलह नहीं थी. भागवत ने कहा कि भारत में गौ माता, नदियों और पेड़-पौधों की पूजा के जरिये प्रकृति की आराधना की जाती है और प्रकृति से देश का नाता जीवंत और चैतन्य अनुभूति पर आधारित है.
‘किसी के पेट पर पैर रखकर बलवान बनना गलत’
उन्होंने कहा,‘‘आज की दुनिया (प्रकृति से) इस नाते को तरस रही है. पिछले 300-350 वर्षों से उन्हें (दुनिया के देशों) को बताया जा रहा है कि सब लोग अलग-अलग हैं और जो बलवान है, वही जिएगा. उन्हें बताया जा रहा है कि अगर वे किसी के पेट पर पैर रखकर या किसी का गला काट कर भी बलवान बनते हैं, तो कोई बात नहीं है.”
हमारी संस्कृति तेरे-मेरे के भेद से उठने का संदेश देती हैः भागवत
भागवत ने कहा,‘‘पहले (कपड़ों का) गला और जेब काटने का काम केवल दर्जी करते थे. अब सारी दुनिया कर रही है. वे जानते हैं कि इससे गड़बड़ हो रही है, लेकिन वे रुक नहीं सकते क्योंकि उनके पास विश्वास और श्रद्धा नहीं है.” उन्होंने जोर देकर यह भी कहा कि भारतीय संस्कृति ‘तेरे-मेरे के भेद’ से ऊपर उठने का संदेश देती है और सभी मनुष्यों में परस्पर आत्मीयता और अपनापन आवश्यक है.
मनुष्य के लिए ज्ञान और कर्म दोनों मार्ग जरूरी
संघ प्रमुख ने कहा कि मनुष्य के लिए ज्ञान और कर्म, दोनों मार्ग जरूरी हैं, लेकिन ‘निष्क्रिय ज्ञानी’ किसी काम के नहीं होते. भागवत ने कहा,‘‘ज्ञानी लोगों के निष्क्रिय होने के कारण ही सब गड़बड़ होती है और अगर कर्म करने वाले किसी व्यक्ति को ज्ञान नहीं है, तो यह कर्म पागलों का कर्म हो जाता है.” प्रदेश के काबीना मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल की पुस्तक के विमोचन के कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव और उनके मंत्रिमंडल के कई सदस्यों समेत समाज के अलग-अलग तबकों के लोग बड़ी तादाद में मौजूद थे.
नर्मदा नदी की परिक्रमा यात्राओं से प्रेरित है पुस्तक
मध्य प्रदेश के मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल की पुस्तक उनकी दो नर्मदा परिक्रमा यात्राओं से प्रेरित है. भागवत ने पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में कहा,‘‘नर्मदा नदी की परिक्रमा सर्वत्र श्रद्धा का विषय है. हमारा देश श्रद्धा का देश है. यहां कर्मवीर भी हैं और तर्कवीर भी हैं. दुनिया श्रद्धा और विश्वास पर चलती है.”

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