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डेमोक्रेशी और ब्योरोक्रेशी फिर आमने-सामने, DM और कैबिनेट मंत्री के बीच हुई बहस का video देखिये

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देहरादून, 17 सितम्बर। उत्तराखंड का हर जिला इस समय आपदा से जूझ रहा है. मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री, और अधिकारी भी ग्राउंड जीरो पर जाकर आपदा के बिगड़े हालातों का जायया ले रहे हैं. इन सबके बीच एक वीडियो सामने आया है, जिसमें धामी सरकार के एक मंत्री जिलाधिकारी को हड़काते हुए नजर आ रहे हैं. इस वीडियो के सामने आने के बाद कांग्रेस ने सरकार और मंत्रियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं.

दरअसल, ये पूरा मामला देहरादून जिले का है. कल (16 सितंबर को) देहरादून शहर और आसपास के इलाकों में भयंकर बाढ़ आई थी. जिले के कई इलाके आपदा से पीड़ित हैं. सभी अधिकारी और मंत्री अपने-अपने क्षेत्र का दौरा कर आपदाग्रस्त क्षेत्रों का हाल जान रहे थे और पीड़ितों से मिल भी रहे थे. इसी दौरान आपदाग्रस्त क्षेत्रों का दौरा करते हुए अचानक कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी और देहरादून जिलाधिकारी सविन बंसल का आमना-सामना हो गया. इसके बाद वो जो कुछ हुआ वो मोबाइल में भी कैद हो गया.

हुआ ये कि देहरादून जिलाधिकारी सविन बंसल के सामने आते ही मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि ‘रंग-ढंग ठीक कर दे अपना’. इस पर जिलाधिकारी सविन बंसल ने पूछा कि ‘क्या हुआ’ तो मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि ‘रात को मुख्य सचिव ने फोन उठा लिया, गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर ने फोन उठा लिया. एसडीएम ने फोन उठा लिया, लेकिन जब मैंने सुबह मुख्यमंत्री के यहां फोन किया, तब साहब ने फोन उठाया’. इसके बाद जिलाधिकारी सविन बंसल ने मंत्री गणेश जोशी को नमस्ते किया और बिना कुछ कहे वहां से चले गए.

मीडिया से बचे मंत्री गणेश जोशी
इस वीडियो के सामने आने के बाद जब मंत्री गणेश जोशी से बात करने की कोशिश की गई तो वो भी कुछ कहे बिना आगे बढ़ कर गए. बता दें कि गणेश जोशी, धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं और चार बार से मसूरी से विधायक भी हैं.

बेचारे डीएम जनता को देखे या अधिकारियों के फोन उठाए?
उधर, वीडियो सामने आने के बाद कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा कि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून का जिलाधिकारी आपदा के समय जनता को देखे या नेताओं के फोन उठाए? सबके सामने इस तरह की भाषा का प्रयोग करना किसी मंत्री को शोभा नहीं देता. कांग्रेस का आरोप है कि नेता लगातार अधिकारियों को धमका रहे हैं. कभी फोन पर, कभी सड़क पर ताकि अपनी राजनीति चमका सकें. विपक्ष का कहना है कि यदि राज्य के मंत्री और विधायक अधिकारियों पर इस तरह दबाव बनाएंगे तो आपदा प्रबंधन जैसी गंभीर जिम्मेदारी खतरे में पड़ जाएगी.

पहले भी कई मामले आ चुके हैं सामने
उत्तराखंड में ये कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी उत्तराखंड में नेताओं द्वारा अधिकारियों को हड़काने के कई मामले सामने आ चुके हैं. अधिकारियों पर आरोप लगते रहते हैं कि वो जनप्रतिनिधियों की सुनते नहीं. कांग्रेस ने इस तरह के घटनाक्रम को लेकर सवाल उठाया है कि आखिर आपदा प्रबंधन और जनता की समस्याओं के बीच अधिकारी किसे प्राथमिकता दें. जनता की मदद करें या इन सभी बातों को देखते रहें.

पौड़ी में डीएम की कार्रवाई पर विरोध
उधर, पौड़ी गढ़वाल में भी विभागीय अधिकारियों के बीच टकराव की स्थिति बनते हुए दिखाई दी. जिलाधिकारी स्वाति भदौरिया ने श्रीनगर क्षेत्र की खराब सड़कों पर कार्रवाई करते हुए पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया. उनका कहना था कि लगातार चेतावनी और निर्देशों के बावजूद विभाग ने सड़क की मरम्मत और रखरखाव नहीं किया, जिसके कारण भारी बारिश में पूरी सड़क बह गई. इस कार्रवाई के बाद पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता समेत अन्य कर्मचारी डीएम के खिलाफ प्रदर्शन पर उतर आए

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