
देहरादून, 4 अक्टूबर। देश के राजस्थान, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और केरल में कफ सीरप पीने से कई बच्चों की मौत के मामले सामने आये हैं. इसको देखते हुए केंद्र सरकार ने भी सभी राज्यों के लिए एडवाइजरी जारी कर दी थी. इसी क्रम में अब उत्तराखंड सरकार ने भी प्रतिबंधित कफ सीरप और दवाइयों के खिलाफ सख्त अभियान शुरू कर दिया है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश के बाद स्वास्थ्य विभाग और एफडीए की संयुक्त टीमें प्रदेश के सभी मेडिकल स्टोर्स, थोक विक्रेताओं और अस्पतालों की औषधि दुकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी कर रही है।
छापेमारी के लिए अपर आयुक्त खुद मैदान में उतरे: स्वास्थ्य सचिव के आदेश के बाद राज्यभर में युद्धस्तर पर छापेमारी की जा रही है. खुद अपर आयुक्त ने देहरादून के जोगीवाला, मोहकमपुर समेत कई क्षेत्रों में औषधि दुकानों का निरीक्षण किया. सभी जिलों में औषधि निरीक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे इस महीने के भीतर सरकारी अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों और खुदरा दुकानों से सिरपों के नमूने लेकर प्रयोगशाला परीक्षण करवाएं.
अपर आयुक्त ने देहरादून के जोगीवाला, मोहकमपुर समेत कई क्षेत्रों में औषधि दुकानों का निरीक्षण किया। सभी जिलों में औषधि निरीक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे इस माह के भीतर सरकारी अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और खुदरा दुकानों से कफ सिरप के नमूने लेकर प्रयोगशाला परीक्षण करवाएं। ताजबर सिंह जग्गी ने कहा कि एफडीए की टीमें प्रदेशभर में सक्रिय हैं। यदि किसी भी स्तर पर दोष पाया गया तो संबंधित कंपनी या विक्रेता के विरुद्ध सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
डॉक्टरों से की अपील…बच्चों के लिए प्रतिबंधित कफ सीरप न लिखें
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार ने सभी मुख्य चिकित्साधिकारियों को आदेश जारी किए कि केंद्र की एडवाइजरी को प्रदेश में तत्काल प्रभाव से लागू कराया जाए। उन्होंने कहा कि बच्चों की सुरक्षा और जनस्वास्थ्य से बड़ा कोई विषय नहीं हो सकता। स्पष्ट निर्देश दिए कि औषधि निरीक्षक चरणबद्ध तरीके से कफ सीरप के नमूने एकत्र करें। उनकी गुणवत्ता की प्रयोगशाला जांच कराएं ताकि किसी भी दोषपूर्ण या हानिकारक दवा को बाजार से तत्काल हटाया जा सके। उन्होंने सभी डॉक्टरों से अपील की है कि वे बच्चों के लिए प्रतिबंधित कफ सीरप न लिखें। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा और जनता के स्वास्थ्य से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा राज्य सरकार केंद्र की एडवाइजरी का पूरी गंभीरता से पालन कर रही है।
बच्चों की सुरक्षा और जनता के स्वास्थ्य से कोई समझौता नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि प्रदेश में बिकने वाली हर दवा सुरक्षित और मानक गुणवत्ता वाली हो. जन स्वास्थ्य हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है और बच्चों की सुरक्षा पर किसी प्रकार की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी. उन्होंने आगे कहा कि सरकार प्रदेश में औषधि गुणवत्ता निगरानी प्रणाली को और सुदृढ़ करने की दिशा में भी काम कर रही है.देश विदेश की ताजा खबरों के लिए देखते रहिये https://sarthakpahal.com/
पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री
केंद्र सरकार की एडवाइजरी के मुख्य बिंदु
दो साल से कम आयु के बच्चों को बिना डॉक्टर की सलाह के किसी भी प्रकार की खांसी या जुकाम की दवा नहीं दी जानी चाहिए
पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में इन दवाओं का सामान्य उपयोग ठीक नहीं है
केवल विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह, सही खुराक और न्यूनतम अवधि के लिए ही इनका उपयोग किया जा सकता है
सरकार ने विशेष रूप से Dextromethorphan युक्त सिरप और Chlorpheniramine Maleate + Phenylephrine Hydrochloride संयोजन वाली दवाओं को चार वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए प्रतिबंधित किया है.