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केदारनाथ में दर्शनों को पहुंचे रिकार्ड श्रद्धालु, 23 अक्टूबर भैयादूज को बंद होंगे बाबा के कपाट

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देहरादून/रुद्रप्रयाग, 9 अक्टूबर। उत्तराखंड में मानसून की विदाई के बाद चारधाम की यात्रा जोरों शोरों से चल रही है. पिछले कुछ दिनों के भीतर प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में बारिश और उच्च हिमालय क्षेत्र में बर्फबारी होने के बाद भी यात्रियों में उत्साह कम नहीं हो रहा है. चारधाम में सबसे ज्यादा क्रेज बाबा केदारनाथ का दिखाई दे रहा है.

केदारनाथ में टूटा 2024 का रिकॉर्ड
इसका ही नतीजा है कि केदारनाथ धाम की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं ने पिछले साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. बुधवार को केदारनाथ धाम आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 16 लाख 56 हजार के पार पहुंच गई, जबकि अभी धाम के कपाट बंद होने में 15 दिन का समय बचा है. साल 2024 में पूरे यात्राकाल के दौरान केदारनाथ धाम के 16 लाख 52 हजार 76 यात्रियों ने दर्शन किए थे. इस साल अभी तक श्रद्धालुओं की संख्या 16.56 लाख के पार हो चुकी है.

साढ़े सोलह लाख से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचे बाबा के दर्शन को
बुधवार यानी 8 अक्टूबर को केदारनाथ धाम में 5614 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए. केदार धाम के कपाट आगामी 23 अक्टूबर को भैयादूज के दिन बंद होंगे. यानी अभी यात्रा 15 दिन और चलेगी. ऐसे में इस साल यात्रियों की संख्या ने नया रिकॉर्ड बनाया है. बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में भी अब यात्रियों की संख्या बढ़ी है. प्रदेश सरकार की ओर से श्रद्धालुओं के उत्साह को देखते हुए सुरक्षित यात्रा के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. यात्रा मार्ग में सुरक्षा जवानों की तैनाती की गई है. यात्रा मार्ग पर यातायात सुचारू बना रहे, इसके लिए भूस्खलन की दृष्टि से संवेदनशील स्थानों पर मलबे की सफाई के लिए जेसीबी की व्यवस्था की गई है.

30 अप्रैल को शुरू हुई थी चारधाम यात्रा
बता दें कि इस साल 30 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा का आगाज हो गया था. इसके बाद दो मई को केदारनाथ और चार मई को बदरीनाथ धाम के कपाट आम श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिए गए थे. मानसून सीजन में अतिवृष्टि, बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं के चलते चारधाम यात्रा बुरी तरह प्रभावित हुई है. प्रकृति की विनाशलीला में गंगोत्री धाम का महत्वपूर्ण पड़ाव धराली बुरी तरह तबाह हो गया. मार्ग बुरी तरह तहस-नहस हो जाने से गंगोत्री और यमुनोत्री धाम की यात्रा को रोकना पड़ा था.

बारिश थमने पर भी यहां यात्रा को बहाल करना बड़ी चुनौती थी, लेकिन शासन-प्रशासन की टीमों ने युद्धस्तर पर कार्य कर आम जनजीवन की बहाली के साथ ही यात्रा मार्गों को सुचारू किया. दोनों धामों की यात्रा भी सुरक्षा इंतजामों के साथ शुरू हो गई. प्रशासन की ओर से यात्रियों को अभी भी एहतियात बरतने की सलाह दी गई है. यात्रियों को बार-बार आगाह किया जा रहा है कि मौसम खराब होने पर यात्रा करने से बचें. यदि यात्रा मार्ग में हैं, तो सुरक्षित स्थान पर शरण लें.

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