विद्युत संविदा और उपनलकर्मियों के एक समान मामलों में बनी दो समितियों ने बढ़ाई चिंता

देहरादून, 19 अक्टूबर। उत्तराखंड में नियमितीकरण नियमावली पर पिछले लंबे समय से बहस जारी है. कैबिनेट में नियमावली लाए जाने की चर्चाओं के बीच उपनलकर्मियों में चिंता इस बात को लेकर है कि क्या उनके मामले में भी नियमितीकरण के लिए नियमावली पर होमवर्क पूरा कर लिया गया है.
दरअसल संविदा कर्मियों और उपनल कर्मियों के लिए अलग-अलग समिति नियमावली पर चिंतन कर रही है., जिससे ऐसे कर्मचारियों के बीच असमंजस की स्थिति बन गई है. उत्तराखंड में दैनिक वेतन, कार्य प्रभारित, संविदा, नियत वेतन, अंशकालिक और तदर्थ रूप में सेवाएं दे रहे कर्मचारियों को नियमित करने की चर्चाएं जोर पकड़ने लगी है.
माना जा रहा है कि जल्द ही ऐसे कर्मचारियों के लिए नियमितीकरण नियमावली बनकर तैयार हो जाएगी, जिस पर कैबिनेट की मोहर लगने के बाद कर्मचारियों के नियमितीकरण का रास्ता साफ हो जाएगा, लेकिन उपनल कर्मियों का क्या होगा इस पर अभी भी स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है. हालांकि संविदा और तदर्थ कर्मियों की तरह ही उपनल कर्मियों के नियमितीकरण के लिए भी नियमावली बनाने का काम चल रहा है.
प्रदेश में जिस तरह संविदा और तदर्थ समेत कुछ दूसरी अस्थाई सेवाओं के नियमितीकरण को लेकर नियमवाली पर काम चल रहा है, इस तरह से उपनल कर्मियों को भी नियमित करने के लिए नियमावली बनाई जा रही है. खास बात यह है कि इन उपनल कर्मी और संविदा, तदर्थ कर्मियों के स्थाईकरण कई फैसला कोर्ट के निर्देशों के क्रम में किया जा रहा है.
मुख्यमंत्री पहले ही कर चुके हैं घोषणा
उपनल कर्मियों को लेकर मुख्यमंत्री भी नियमावली बनाई जाने की घोषणा कर चुके हैं, जिसके बाद शासन स्तर पर एक समिति का गठन भी किया गया है, लेकिन काफी समय बीतने के बाद भी अब तक नियमावली अंतिम रूप नहीं ले पाई है.
उपनल कर्मी संशय की स्थिति में
दूसरी तरफ संविदा कर्मियों के नियमितीकरण से जुड़ी नियमावली पर जल्द ही काम पूरा होने की चर्चाएं हैं. ऐसे में उपनल कर्मियों में भी संशय की स्थिति बनी हुई है. उनका मानना है कि जब संविदा, तदर्थ कर्मियों को भी उपनल कर्मियों की तरह ही नियमित किए जाने पर विचार चल रहा है तो फिर दोनों के लिए एक ही समिति का गठन क्यों नहीं किया गया?
उपनलकर्मियों की याचिका पर हाईकोर्ट दे चुका है आदेश
प्रमुख सचिव आरके सुधांशु की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया है. उपनल कर्मचारियों के नियमितीकरण को लेकर पूर्व में उपनल कर्मियों की ही याचिका पर हाईकोर्ट स्थाईकरण और समान काम का समान वेतन दिए जाने के आदेश कर चुका है. हालांकि इस आदेश के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार की एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) को खारिज कर दिया था. इसके बाद उपनल कर्मियों ने हाईकोर्ट में सरकार पर कंटेंप्ट की एप्लीकेशन दी थी, जिस पर आनन फानन में सरकार ने कर्मचारियों के नियमितीकरण के लिए नियमावली बनाने की तरफ कदम उठाया है.