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भाई दूज आज, भाई को तिलक करने के लिए 4 शुभ मुहूर्त, अंगूठे से करें भाई का तिलक

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सार्थकपहल.काम। दिवाली और गोवर्धन पूजा के बाद कार्तिक शुक्ल द्वितीया को भाई दूज का पावन पर्व मनाया जाता है. यह दिन यमराज से जुड़े होने के कारण यम द्वितीया भी कहलाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उसकी दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं. भाई दूज के अवसर पर भाई अपनी बहन के घर जाकर तिलक करवाता है और उसके हाथों से बना भोजन ग्रहण करता है. ऐसा करने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है. भाई दूज का गुरुवार, त्योहार 23 अक्टूबर यानी कल मनाया जाएगा.
भाई दूज की तिथि
हिंदू पंचांग के मुताबिक, कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि 22 अक्टूबर रात 8 बजकर 16 मिनट से प्रारंभ होगी और 23 अक्टूबर रात 10 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में उदिया तिथि के अनुसार, 23 अक्टूबर को भाई दूज का पर्व मनाना शुभ माना गया है.
भाई को तिलक करने के 4 शुभ मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:43 से दोपहर 12:28 तक
श्रेष्ठ मुहूर्त: दोपहर 1:13 बजे से दोपहर 3:28 बजे
विजय मुहूर्त: दोपहर 1:58 बजे से दोपहर 2:43 बजे तक
गोधूली मुहूर्त: शाम 05.43 बजे से शाम 06.09 बजे तक

ज्यादातर घरों में बहनें भाई के माथे पर अनामिका उंगली यानी रिंग फिंगर से तिलक करती हैं, जो कि बिल्कुल गलत है. रक्षाबंधन या भाई दूज जैसे त्योहारों पर भाई को कभी भी अनामिका उंगली से तिलक नहीं करना चाहिए. आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं. ज्योतिषविद ऐसा मानते हैं कि अनामिका उंगली यानी रिंग फिंगर से भगवान को तिलक लगाना चाहिए. भगवान के अलावा गुरु को तिलक लगाने के लिए भी इस उंगली का प्रयोग किया जा सकता है. दरअसल, इस उंगली का संबंध सूर्य से होता है और इससे तिलक लगाने से आज्ञा चक्र जागृत होता है.

भाई को किस उंगली से लगाएं तिलक?
ज्योतिषविदों के अनुसार, भाई को हमेशा अंगूठे से तिलक लगाना चाहिए. रक्षाबंधन और भाई दूज जैसे त्योहारों पर भाई की विजय की कामना करते हुए अंगूठे से उनका तिलक करना चाहिए. प्राचीन काल में युद्ध पर जाने से पहले राजाओं का तिलक अंगूठे से ही किया जाता था.

क्यों अंगूठे से करना चाहिए भाई का तिलक?
ऊर्जा का संचार- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अंगूठा वायु और अग्नि तत्व का प्रतिनिधि करता है. इसलिए अंगूठे से भाई का तिलक करने पर सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है और भाई का भाग्योदय होता है.

शक्ति का प्रतीक- हाथ की उंगलियों में अंगूठा सबसे मजबूत माना जाता है. दरअसल, यह शक्ति, आत्मविश्वास और नियंत्रण का प्रतीक भी है. इसलिए जब कोई बहन अंगूठे से भाई का तिलक करती है तो यह साहस और शक्ति में वृद्धि करता है. अंगूठे से किया गया तिलक भाई को विजयी बनाने की कामना से किया जाता है.

आर्थिक लाभ- प्राचीन काल से ही व्यापार और सामाजिक रिश्तों में अंगूठे की भूमिका अहम मानी गई है. सफलता और सम्मान की कामना के लिए हमेशा अंगूठे से ही तिलक करने की परंपरा रही है.

सादगी और सहजता- अंगूठे से तिलक करने की परंपरा को मजबूती इसलिए भी मिली, क्योंकि इसके माध्यम से छोटे बच्चे और वृद्धजन भी आसानी से तिलक कर सकते हैं.

तिलक के लिए बहन एक थाली तैयार करें जिसमें दीपक, अक्षत, रोली, फूल, सुपारी, नारियल, कलावा, सिक्का और मिठाई रखी जाती है. तिलक करने से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है. फिर चौकी उत्तर-पूर्व दिशा में रखकर भाई को उस पर बैठाया जाता है. बहन पहले कलावा बांधती है, फिर माथे पर रोली और अक्षत से तिलक करती है, फूलमाला पहनाती है और मिठाई खिलाती है. इसके बाद भाई को नारियल देकर उसके मंगल, सौभाग्य और दीर्घायु की प्रार्थना की जाती है. भाई भी अपनी बहन को स्नेहपूर्वक उपहार देकर आशीर्वाद देता है.
भाई दूज की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन यमराज अपनी बहन देवी यमुना के घर मिलने गए थे. यमुना ने उनका आदरपूर्वक स्वागत किया, उनके माथे पर तिलक लगाया और स्वादिष्ट भोजन परोसा. अपनी बहन के प्रेम और आदर से प्रसन्न होकर यमराज ने आशीर्वाद दिया कि जो भी भाई इस दिन अपनी बहन के घर जाकर तिलक करवाएगा, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा और उसे दीर्घायु प्राप्त होगी. तभी से इस दिन को भाई दूज के रूप में मनाने की परंपरा चली आ रही है.

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