
श्रीनगर, 4 नवम्बर। बैकुंठ चतुर्दशी पर्व के अवसर पर सिद्धपीठ कमलेश्वर महादेव मंदिर में सोमवार को संतान प्राप्ति की कामना को लेकर 190 दंपतियों ने श्रद्धापूर्वक खड़ा दीया अनुष्ठान किया। यह पारंपरिक अनुष्ठान सदियों से निःसंतान दंपतियों की मनोकामना पूर्ण करने के लिए किया जाता रहा है।
जानकारी के अनुसार इस वर्ष 235 से अधिक दंपतियों ने अनुष्ठान के लिए पंजीकरण कराया था। इनमें से 190 से अधिक दंपति मंदिर पहुंचे और रात्रिभर पूजा-अर्चना में लीन रहे। मंगलवार को गोधूलि बेला (शाम 5 बजकर 30 मिनट) पर मंदिर के महंत आशुतोष पुरी ने दीपक जलाकर अनुष्ठान आरंभ किया। इस दौरान महिलाओं की कमर में एक कपड़े से नींबू का जोड़ा, श्रीफल, पंचमेवा और चावल की पोटली बांधी गई, जो शुभता और संतति प्राप्ति का प्रतीक मानी जाती है।
इसके पश्चात महंत पुरी ने प्रत्येक दंपति के हाथ में जलते दीपक रखवाए और भगवान शिव का आह्वान करते हुए विधिवत पूजा-अर्चना करवाई। दंपतियों ने रात्रि भर जलते दीपक को हाथों में थामे भगवान शिव से संतान प्राप्ति की कामना की। बुधवार प्रातः स्नान के बाद महंत आशुतोष पुरी दंपतियों को आशीर्वाद देकर अनुष्ठान का समापन कराएंगे। महंत पुरी ने बताया कि खड़ा दीया अनुष्ठान प्राचीन परंपरा से जुड़ा है और मान्यता है कि जो दंपति पूरी श्रद्धा और नियमपूर्वक यह अनुष्ठान करते हैं, उन्हें संतान सुख अवश्य प्राप्त होता है। इस विशेष अनुष्ठान में उत्तराखंड के अलावा अमेरिका, नोएडा, गाजियाबाद, दिल्ली, बेंगलुरु, चंडीगढ़, महाराष्ट्र और राजस्थान सहित देश-विदेश के कई दंपति शामिल हुए।
संतान की चाह में अमेरिका से पहुंचा परिवार
मूल रूप से दिल्ली की रहने वाली राजश्री जैन अपने परिवार के साथ अमेरिका में रहती हैं। राजश्री जैन की कामना है कि उनकी विवाहित बेटी को संतान प्राप्ति का सुख मिले। जैसे ही उन्हें सिद्धपीठ कमलेश्वर महादेव मंदिर में होने वाले खड़े दिए अनुष्ठान के बारे में पता चला उन्होंने तत्काल अनुष्ठान में बेटी के साथ शामिल होने का मन बना लिया।
राजश्री जैन बताती हैं कि उन्हें यहां के बारे में उनकी सहेली रेखा मैठाणी से जानकारी मिली। बताती हैं कि 28 साल पूर्व उनकी सहेली को भी यहां अनुष्ठान कर संतान प्राप्ति हुई थी। बताया कि वह अपने पति और बेटी के साथ अनुष्ठान में पहुंची हैं। वहीं दिल्ली से शशांक भी अपनी पत्नी के साथ अनुष्ठान में हिस्सा लेने पहुंचे हैं, जबकि अन्य दंपति विनोद-वंदना, सुमित-कल्पना, गौरव-संतोषी, महिपाल-मनीषा भी अनुष्ठान में शामिल हुए।



