
पौड़ी, 7 नवम्बर। पौड़ी गढ़वाल जिले के विकासखंड पौड़ी के अंतर्गत उगने वाला पारंपरिक फल ‘बेडू’ (हिमालयी अंजीर) अब भौगोलिक संकेतक टैग (जीआई GI टैग) प्राप्त कर चुका है। जीआई डैग मिलना न केवल जिले के लिए गौरव की बात है, बल्कि अब स्थानीय उत्पादों को भी राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल सकेगी।
बेडू को GI टैग दिलाने की पहल राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के अंतर्गत गठित उमंग स्वायत्त सहकारिता, बिचली ढांढरी ने गई थी। इसके लिए पेटेंट, डिजाइन एवं ट्रेडमार्क महानियंत्रक कार्यालय में आवेदन किया गया था। इस पूरी प्रक्रिया में ग्रामोत्थान परियोजना (रीप), कृषि विभाग, उद्यान विभाग तथा औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, भरसार का तकनीकी सहयोग प्राप्त हुआ।
डीएम द्वारा ढाई लाख की वित्तीय सहायता प्रदान की गयी
जिलाधिकारी स्वाति एस. भदौरिया के मार्गदर्शन में यह आवेदन प्रक्रिया पूरी की गई। डीएम द्वारा इसके लिए 2.50 लाख का वित्तीय सहयोग प्रदान किया गया, जबकि तकनीकी मार्गदर्शन ह्यूमन वैलफेयर एसोसिएशन, वाराणसी के डॉ. रजनीकांत ने किया। बेडू, जिसे हिमालयन फिग के नाम से भी जाना जाता है, हिमालयी क्षेत्र में पाया जाने वाला एक प्राचीन फल है। यह बंजर भूमि, खेतों और जंगलों में स्वाभाविक रूप से उगता है। इसके फलों में खनिज, आयरन और विटामिन्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
पौड़ी की सांस्कृतिक और पारंपरिक धरोहर की मान्यता : डीएम
डीएम ने कहा कि बेडू का GI टैग मिलना केवल एक उत्पाद की उपलब्धि नहीं, बल्कि पौड़ी की सांस्कृतिक और पारंपरिक धरोहर की मान्यता है। अब लक्ष्य है कि बेडू आधारित उत्पादों को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और वैश्विक बाजार तक पहुंचाया जाए। सीडीओ गिरीश गुणवंत ने कहा कि यह उपलब्धि पौड़ी जनपद के लिए गर्व की बात है। बेडू उत्पादों के प्रसंस्करण और विपणन की जिम्मेदारी उमंग स्वायत्त सहकारिता संभाल रही है। सहकारिता किसानों से 60 प्रति किलो की दर से बेडू क्रय कर जैम, चटनी, स्क्वैश और मिठाई जैसे उत्पाद तैयार कर रही है। इन उत्पादों को हिलांस ब्रांड के तहत पौड़ी, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा, देहरादून और अन्य जनपदों में विपणन किया जा रहा है। उमंग फैडरेशन की अध्यक्षा उमा देवी ने कहा कि जीआई टैग मिलने से अब बेडू उत्पादों के मूल्य में वृद्धि होगी।



