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नियमितीकरण की मांग को लेकर उपनलकर्मियों का परेड ग्राउंड में धरना जारी, पुलिस से नोकझोंक

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देहरादून, 13 नवम्बर। नियमित करने की मांग पर अमल न होने से नाराज आंदोलनरत उपनल कर्मचारियों का बृहस्पतिवार को गुस्सा फूट पड़ा। गुस्साए कर्मचारियों ने परेड ग्राउंड में प्रदर्शन कर धरना दिया। वहीं, कांग्रेस नेता डॉ. हरक सिंह रावत ने धरनास्थल पर पहुंचकर आंदोलन को समर्थन दिया।
उपनल कर्मचारियों ने कहा, प्रदेश के विभिन्न विभागों में उपनल के माध्यम से लगे कर्मचारी बहुत कम मानदेय पर काम कर रहे हैं। वर्ष 2018 में हाईकोर्ट ने कर्मचारियों चरणबद्ध तरीके से नियमित करने का फैसला सुनाया था, लेकिन सरकार उनके नियमितीकरण के मामले को लटकाती आ रही है। उपनल कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के प्रदेश संयोजक विनोद गोदियाल ने कहा, उपनल कर्मचारियों के मामले में आठ महीने पहले मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति का गठन हुआ था, लेकिन यह समिति कर्मचारियों के आंकड़े नहीं जुटा पाई है।
प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष महेश भट्ट व महामंत्री विनय प्रसाद ने कहा, सरकार उपनल कर्मचारियों को नियमित करने के लिए ठोस नीति बनाए। कुमाऊं मंडल अध्यक्ष मोहन रावत ने कहा, हल्द्वानी मेडिकल कालेज के सभी उपनल कर्मचारी हड़ताल पर जाएंगे।
हरक सिंह ने तुड़वाया अनशन
कांंग्रेस नेता डॉ. हरक सिंह रावत ने अनशन स्थल पर पहुंचकर पिछले तीन दिन से अनशन पर बैठे महेश चंद्र भट्ट व योगेश बडोनी का आमरण अनशन तुड़वाया। वहीं, इनके स्थान पर रवि विश्वकर्मा और पंकज पांडे अनशन पर बैठ गए।
आंदोलन को इनका मिला समर्थन
आंदोलन को कांग्रेस नेता डॉ हरक सिंह रावत, सूर्यकांत धस्माना, ज्योति रौतेला, स्वामी दर्शन भारती, वाहन चालक संघ के प्रदेश महामंत्री अजय डबराल, अमित भट्ट, प्रदीप कंसल एवं राकेश शर्मा, गरिमा दसौनी, शीशपाल बिष्ट, पंकज क्षेत्री, विजय चौहान सहित कई लोगों ने समर्थन दिया।
मेरे ज्यादा नारे न लगाते तो हरीश रावत सरकार में हो चुके होते नियमित : हरक
उपनल कर्मचारियों के समर्थन में परेड ग्राउंड धरना स्थल पर पहुंचे पूर्व मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा, यदि उपनल कर्मचारी उनके ज्यादा नारे न लगाते तो हरीश रावत सरकार में नियमित हो जाते। वहीं, यदि वह त्रिवेंद्र रावत को यह न बताते कि लालढांग चिल्लरखाल मोटर मार्ग 70% बन चुका है तो यह मार्ग अब तक बन चुका होता। उन्होंने यह भी कहा, उनके मंत्री वह उपनल कर्मचारियों को नियमित करने का प्रस्ताव कैबिनेट में लाना चाहते थे, लेकिन कुछ साथियों के विरोध के चलते ऐसा नहीं हो सका।

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