उत्तराखंडक्राइमदेश-विदेशशिक्षासामाजिकस्वास्थ्य

निठारी कांड: 19 साल की कानूनी लड़ाई के बाद सब कुछ बिखर गया, मां चल बसी, पत्नी का पता नहीं

Listen to this article

सल्ट अल्मोड़ा, 14 नवम्बर। नोएडा के निठारी हत्या व दुष्कर्म कांड में दोषी ठहराए गए सुरेंद्र कोली को उच्चतम न्यायालय ने दोषमुक्त घोषित कर रिहा तो कर दिया है। मगर इन 19 वर्षों में अपना सब कुछ खो चुका सुरेंद्र आगे की जिंदगी कहां, कैसे गुजारेगा यह किसी को नहीं मालूम। पहले पत्नी पुत्र को लेकर अज्ञात पर चली गई। फिर बेटे के निर्दोष साबित होने की आस में मां चल बसी। वीरा पड़ा मकान भी खंडहर हो चुका है। वह गांव लौटेगा या फिर दिल्ली में ही नया ठिकाना तलाशेगा, संशय बना हुआ है।

अलबत्ता दिल्ली में रहने वाले उसके बड़े भाई चंदन कोली ने कहा कि सुरेंद्र के अधिवक्ता जब बताएंगे, संपर्क साधेंगे, उसके बाद ही देखा जाएगा। मिलेंगे बातचीत होगी। बगैर मिले अभी कुछ नहीं कह सकते। अभी कोई संपर्क भी नहीं हुआ है। वहीं ग्रामीणों ने कहा- दोषमुक्त होने तक सुरेंद्र का परिवार बिखर चुका है। वह आज भी उनके लिए सुरेंद्र ही है। गांव आएगा तो मकान बनाने और जो भी बन पड़ेगा, मदद करेंगे।

पत्नी जेल में मिलने जाती रही, फिर हो गई गुमनाम
वर्ष 2004-05 में मंगरूखाल निवासी सुरेंद्र कोली ने जब रोजगार के सिलसिले में दिल्ली के लिए कदम बढ़ाए थे, तब किसी ने नहीं सोचा था कि वह देश को झकझोर देने वाले जघन्य कांड का आरोपित ठहराया जाएगा। मां कुंती देवी व पत्नी शांति और बेटी को आर्थिक तंगी से बाहर निकालने का सपना लेकर सुरेंद्र कोली दिल्ली में मनिंदर सिंह पंधेर के यहां नौकरी करने लगा।

2006 में निठारी हत्या व दुष्कर्म कांड ने उससे सब कुछ छीन लिया। तब उसकी पत्नी गर्भवती थी। पुत्र को जन्म देने के बाद वह जेल में मिलने जाती थी। लगभग दस वर्ष पूर्व जब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा सुनाई, उसके बाद उसकी पत्नी का हौसला टूटता गया। 2015 में न्यायालय ने फांसी की सजा में राहत देते हुए उम्रकैद सुनाई थी।

बहू के जाने के बाद बूढी मां भी चल बसी
2019 के आसपास सुरेंद्र की पत्नी सामाजिक तिरस्कार की डर से करीब 13 वर्षीय बेटे का भविष्य देख उसे लेकर गांव से चली गई थी। वह कहां है, किसी को नहीं पता। तब सुरेंद्र की मां कुंती देवी गांव में अकेली रह गई। वह कहती रही कि उसके गरीब बेटे को रसूखदारों ने बलि का बकरा बना दिया। बहू के जाने के कुछ ही माह बाद कुंती देवी ने भी दम तोड़ दिया।

क्या कहते हैं ग्रामीण
‘को दोषमुक्त किए जाने से गांव वालों को भी राहत मिली है। लेकिन बहुत देर होने से निराशा भी हो रही है। गरीबी के कारण उसे इस कांड में फंसाया गया। कानूनी लड़ाई लड़ते इन वर्षों में उसका परिवार बिखर गया।
धर्म सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता मंगरूखाल’

‘सुरेंद्र कोली की रिहाई से समूचा गांव खुश है। यदि सुरेन्द्र गांव वापस आता है तो खंडहर हो चुके उसके घर को बनाने में गांववासी सहयोग करेंगे। उसे गलत फंसाया गया था। ग्रामीण उसे बेकसूर मानते रहे हैं।
बालम सिंह, मंगरूखाल’

SC ने दिया था रिहाई का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में निठारी कांड से जुड़े अंतिम यानी 13वें केस में भी सुरेन्द्र कोली को दोषमुक्त कर दिया था। अदालत ने क्यूरेटिव याचिका पर सुनवाई करते हुए उसकी सजा रद्द कर तत्काल रिहाई का आदेश दिया था।

कोली 8 सितंबर 2024 से लुक्सर जेल में बंद था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बुधवार को उसकी रिहाई की प्रक्रिया पूरी की गई। अब उसके जेल से बाहर आने के साथ ही इस चर्चित मामले में एक लंबा कानूनी अध्याय समाप्त हो गया है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button