
लैंसडौन, 29 नवम्बर। गढ़वाल राइफल्स रेजिमेट सेंटर में अग्निवीर कोर्स-6 बैच-1 के 449 अग्निवीर भारतीय सेना की गढ़वाल राइफल्स में शामिल हो गए। कदम कदम बढ़ाए जा, खुशी के गीत गाए जा, ये जिंदगी है कौम की, तू कौम पे लुटाए जा… रेजिमेंटल गीत की इन पंक्तियों को गुनगुनाते हुए शनिवार को 449 अग्निवीर सेना की प्रतिष्ठित पैदल सेना गढ़वाल राइफल्स का हिस्सा बन गए।
31 सप्ताह का कठिन परिश्रम
शनिवार को गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंटल केंद्र के नायक भवानी दत्त जोशी, अशोक चक्र परेड ग्राउंड लैंसडाउन में पासिंग आउट परेड आयोजित की गई। इसमें 31 सप्ताह के कठिन परिश्रम के बाद देश सेवा के लिए तैयार अग्निवीर कोर्स-6 बैच-1 के 449 अग्निवीर रिक्रूटों को भारतीय सेना में शामिल होने का गौरव प्राप्त हुआ। इस दौरान अग्निवीरों ने शानदार परेड का प्रदर्शन भी किया। परेड में शामिल छह टुकड़ियों का नेतृत्व प्रियांशु नेगी ने किया। युद्ध स्मारक जाकर अग्निवीरों ने वीरों के बलिदान का स्मरण किया। सलामी मंच के पास से गुजरने पर ग्राउंड में मौजूद अग्निवीरों के परिजनों ने तालियां बजाकर उनका हौसला बढ़ाया।
समीक्षा अधिकारी ने ली सलामी

समीक्षा अधिकारी ब्रिगेडियर विनोद सिंह नेगी, विशिष्ट सेवा मेडल, कमांडेंट, गढ़वाल राईफल्स रेजिमेंटल केंद्र लैंसडाउन ने पासिंग आउट परेड की सलामी लेने के बाद परेड का निरीक्षण किया।
सेना में शामिल होने गौरव की बात
इस दौरान उन्होंने अपने संबोधन में सेना में शामिल इन अग्निवीर जवानों से देश की सुरक्षा के लिए सदैव तत्पर रहते हुए कर्तव्य का निर्वहन करने का आह्वान किया। समीक्षा अधिकारी ने कहा कि यह हम सभी के लिए बड़े ही गौरव और सम्मान की बात है कि आप को अग्निवीर कोर्स-06 में प्रशिक्षण प्राप्त करके भारतीय सेना में शामिल होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।
साक्षी बनने माता-पिता एवं अभिभावक
इस दौरान सभी अग्निवीर सैनिकों के माता-पिता एवं अभिभावकों को पासिंग आउट परेड का साक्षी बनने के लिए आमंत्रित किया गया। समीक्षा अधिकारी ने भारतीय सेना में शामिल होने के लिए अग्निवीरों के साहस एवं कौशल की प्रशंसा की और इस महत्वपूर्ण अवसर पर सेना में शामिल होने वाले सभी अग्निवीरों के माता-पिता एवं अभिभावकों को गौरव पदक प्रदान कर उन्हें सम्मानित किया गया
अग्निवीरों के शपथ ग्रहण समारोह का आकर्षण
उत्तरकाशी, टिहरी, जौनसार से पहुंचे कई अग्निवीरों के परिजन अपने पारंपरिक लिबास में पहुंचे थे। अग्निवीरों के माता-पिता एवं अभिभावकों को गौरव पदक प्रदान कर सम्मानित किया गया। यह पहला अवसर था जब अग्निवीरों की शपथ के दौरान पंडित, मौलवी और पादरी पवित्र धर्म ग्रंथ के साथ मौजूद रहे।



