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एमबीबीएस करने यूक्रेन ही क्यों जाते हैं भारतीय छात्र?

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नई दिल्ली। एमबीबीएस करने भारतीय छात्र यूक्रेन ही क्यों जाते हैं। अब इस समय इस सवाल के जवाब को जानने की किसी को जरूरत नहीं है। रूस और यूक्रेन में जारी जंग के बीच पूरे देश को भारतीय छात्रों की घर वापसी की चिंता हर भारतीय परिवार वालों को संता रही है। यूक्रेन में करीब 18,095 भारतीय छात्र फंसे हुए हैं। यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों में से अधिकांश मेडिकल स्टूडेंट्स हैं। यह जानना भी महत्वपूर्ण है कि हर साल भारतीय छात्र मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए यूक्रेन में क्यों जाते हैं? आइए जानते हैं कुछ प्रमुख कारण?

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पढ़ाई का खर्चा भारत की अपेक्षा आधा
यूक्रेन में मेडिकल पढ़ाई का खर्च भारत के प्राइवेट कॉलेजों के अपेक्षा आधे से भी कम आता है। भारत के सरकारी कॉलेजों में सालाना मेडिकल पढ़ाई का खर्च ढाई-तीन लाख पड़ता है। वहीं प्राइवेट में यही फीस 10-15 लाख के करीब पड़ती है। वहीं, यूक्रेन में एमबीबीएस की फीस सालाना दो-चार लाख रुपये के बीच होती है।

अलग से कोई प्रवेश-परीक्षा की जरूरत नहीं
इसके अलावा यूक्रेन से एमबीबीएस करने या बीडीएस की पढ़ाई करने के लिए अलग से नीट जैसी कोई प्रवेश-परीक्षा या डोनेशन आदि नहीं देने पड़ते। यहां सिर्फ भारत की नीट परीक्षा को क्वालीफाई करने के बाद ही दाखिला मिल जाता है।

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