
देहरादून। फाइबर गैस सिलिंडर विदेशी टेक्नोलाजी के हिसाब से बनाया गया है, जिसे आयल कंपनी दून की गैस एजेंसियों को उपलब्ध करा चुकी है। सुरक्षा के लिहाज से एवं अन्य गैस सिलिंडर के मुकाबले यह फाइबर सिलिंडर ज्यादा सुरक्षित है। यह सिलिंडर विदेशी टेक्नोलाजी के हिसाब से बनाया गया है। सिलिंडर की खास बात यह है कि उपभोक्ता इसमें बची गैस आसानी से देख सकता है।
क्या होता है फाइबर सिलिंडर
फाइबर गैस सिलिंडर स्टील सिलिंडर की तुलना में 50 प्रतिशत हल्का, सुविधाजनक एवं जंगरोधक है। यह एक ब्लो मोल्डेड इनर लाइनर से बनी एक थ्री लेयर निर्माण है, जो पालीमार फाइबर ग्लास की मिश्रित परतसे ढका है। पारदर्शी होने के कारण उपभोक्ता इसमें गैस का अंदाजा आसानी से लगा सकता है। उत्तराखंड एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर एसोसिएसन के अध्यक्ष चमन लाल ने बताया कि आयल कंपनी एचपी, भारत, इंडेन के एजेंसियों पर सिलिंडर उपलब्ध करा दिए गये हैं। फाइबर सिलिंडर का वजन चार किलो और गैस का वजन 10 किलो, यानि सिलिंडर का कुल वजन 14 किलो है। यह सिलिंडर विदेश की टेक्नोलाजी के हिसाब से बनाया गया है।
इसके रेगुलेटर के ऊपर प्लास्टिक का कवर लगाया गया है। खतरा महसूस होने पर यह सुरक्षा कवच का काम करता है। उनका कहना है कि अभी उपभोक्ताओं को इसकी जानकारी कम है, लेकिन आने वाले समय में यही सिलिंडर प्रयोग में लाए जायेंगे। एकस्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने में भी फाइबर सिलिंडर सुविधाजनक है। इसके ऊपर हाथ स्टैंड लगाया गया है।
3150 रुपये देनी होगी सिक्योरिटी
फाइबर सिलिंडर का रजिस्ट्रेशन करते समय 3150 रुपये की सिक्योरिटी देनी होगी। इसके अलावा उपभोक्ता वर्तमान समय में जिन सिलिंर का प्रयोग कर रहे हैं, उनके कनेक्शन को फाइबर सिलिंडर के कनेक्शन में बदल सकते हैं। यह सुविधा भी एजेंसियों की ओर से उपभोक्ताओं को आफर के रूप में दी गयी है।