आगरा। ताजमहल के सालों से बंद 22 कमरों से पर्दा अब उठने वाला है। तहखाने में बने 22 बंद कमरों को खोलने को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में याचिका दायर की गई है। तहखाने के जिन कमरों को खोलने के लिए याचिका दायर की गई है वह श्रद्धालुओं के लिए 1972 से बंद किए जा चुके हैं।
ताजमहल का विवाद अब जोर पकड़ता जा रहा है। भाजपा के अयोध्या मीडिया प्रभारी डा. रजनीश सिंह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच में याचिका दायर कर बंद 22 कमरों को खोलने की बात कही है। इन कमरों के भीतर किसी को जाने की इजाजत नहीं है। इसलिए इन कमरों के भीतर हिंदू देवताओं और शास्त्रों की मूर्तियां होने की आशंका है।
पिछले हफ्ते संत परमहंस ताजमहल में प्रवेश करने की कोशिश करते पाए गये थे। पूरे प्रकरण ने अब माहौल को और भी हवा दे दी है। विश्व के सात अजूबों में एक ताजमहल पर विवाद कोई नई वजह नहीं है। मुगलों की ओर से शासन के दौरान हिंदू धर्मस्थलों को निशाना बनाए जाने को पूरा विवाद आधार माना जा रहा है। इस मामले में इतिहासविदों की राय जुदा है।
आखिर इन 22 कमरों में है क्या?
बंद पड़े 22 कमरों में क्या है? इस सवाल का जवाब अभी तक सामने नहीं आया है। इन कमरों को खोलने की इजाजत किसी को नहीं है। ताजमहल को कई इतिहासकार मुगलकार का बेहतरीन आर्किटेक्चर मानते हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इसके आसपास हिंदू आर्किटेक्चर भी हो सकते हैं।
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याचिकाकर्ता का कहना है कि हिंदू धर्म गुरु जहां ताजमहल को भगवान शिव का मंदिर बताते हैं, वहीं मुस्लिम इसे इबादतगाह बता रहे हैं। इस विवाद को खत्म करने को मैंने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर 22 बंद कमरों को खोलने और इसकी वीडियोग्राफी की मांग की है।