वाराणसी। ज्ञानवापी पर सियासत तेज हो गयी है। अदालत के आदेश पर हुए सर्वे के बाद मामला अब सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा है। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी अब इस मुद्दे पर मुखर हो गये हैं।
यह वीडियो उसी तालाब का है, जिसमें हिंदू पक्ष के अनुसार ये हमारे आराध्य रूपी शिवलिंग है और मुस्लिम पक्ष के अनुसार ये एक फव्वारा है। खुद आप भी देखिये और समझने की कोशिश कीजिए। वैसे तो फैसला को कोर्ट के माध्यम से होना है।
ज्ञानवापी पर सियासत के बीच अब नेताओं में जुबानी जंग का दौर तेज हो गया है। ओवैसी ने ट्वीट कर कहा कि इस मामले को पूर्व मुगल शासक औरंगजेब से जोड़ना गलत है। वे बोले कि देश के असली मुद्दे को भटकाने के लिए हर बात में औरंगजेब को घसीटा जा रहा है। दरअसल काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत परिवार के मुखिया डा. कुलपति तिवारी ने ज्ञानवापी मंदिर को तोड़ने के लिए औरंगजेब को जिम्मेदार माना है। उनके मुताबिक 1669 में में औरंगजेब ने मंदिर का एक हिस्सा तोड़कर मस्जिद बनवाई थी। इससे पहले 14वीं सदी में जौनपर के शर्की सुल्तान ने मंदिर को ध्वस्त कर मस्जिद का निर्माण किया था।
ओवैसी बोले, शिवलिंग नहीं, फव्वारा था
ओवैसी ने अपने ट्वीट में लिखा कि वो शिवलिंग नहीं फव्वारा था। अगर शिवलिंग था तो कोर्ट कमिश्नर को यह बात बतानी चाहिए थी। उन्होंने पलटवार करते हुए कहा कि यह ज्ञानवापी मस्जिद थी और कयामत तक रहेगी इंशाअल्लाह। उन्होंने कहा कि यह देश के मुसलमानों के साथ धोखा है। वे बोले कि 1991 में साफ हो गया था कि अब जो भी धार्मिक संरचनाएं हैं वो यथास्थिति में रहेंगी, तो उस कानून की धज्जियां क्यों उड़ाई जा रही हैं।