नवजात का पैर बाहर निकल रहा था, लेकिन डाक्टरों ने प्रसव कराने से किया इन्कार

अल्मोड़ा। नवजात का पैर बाहर निकलकर पीला पड़ गया था, लेकिन फिर भी सीएचसी में तैनात डाक्टरों ने कुसुम देवी का प्रसव कराने से मना कर दिया। पहाड़ों की पीड़ा समझना हर किसी के बस की बात नहीं। सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं का कितनी ही ढोल पीट ले, लेकिन हकीकत सामने आ ही जाती है। पहाड़ की सुविधाएं कैसी पंगु हैं इसकी बानगी रविवार को उस देखने को मिली, जब प्रसव पीड़ा से कराह रही गर्भवती को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डाक्टरों ने प्रसव कराने से मना कर दिया, जबकि नवजात बच्चे के पैर तक बाहर निकलकर नीले पड़ चुके थे।
एंबुलेंस की फार्मासिस्ट सरिता खंपा बनी भगवान
कुसुम की सास और रिश्तेदारों का कहना था कि उन्होंने डाक्टरों से काफी याचना की, लेकिन डाक्टरों ने उनकी एक न सुनी। एंबुलेंस की फार्मासिस्त सरिता खंपा न होती तो जच्चा-बच्चा दोनों का बचना मुश्किल था। खंपा उनके लिए भगवान साबित हुई। वहीं फार्मासिस्ट सरिता खंपा ने आरोप लगाया कि सीएचसी में डाक्टरों का व्यवहार अच्छा नहीं था। वे अगर चाहते तो बच्चे को पैर को अंदर डाल सकते थे, लेकिन लटकते पैरों से ही उन्होंने रेफर कर दिया, जो कि अनुचित था।
बच्चे का पैर बाहर निकला था ऐसी स्थिति में महिला को बेहोश करसे बच्चे को बाहर िनकाला जाता है। इसके लिए बेहोशी की जरूरत होती थी, जो स्थानीय स्तर पर नहीं था, इसलिए रेफर करना जरूरी था। बच्चे की धड़कन भी नहीं मिल रही थी। हमारी सबसे पहली जिम्मेदारी जान बचाने की थी। बच्चा जब पैदा हुआ तो हार्टबीट 70 थी, जबकि 120 से 160 होनी चाहिए। यदि बाल रोग विशेषज्ञ समय पर न पहुंचते तो बच्चे को बचाना मुश्किल होता। –डा. अमित रतन, प्रभारी सीएचसी
बच्चा समय से दो महीने पहले हो गया
बच्चा स्वस्थ है। उसे सांस लेने में परेशानी हो रही थी, इसलिए आक्सीजन पर रखा गया है। जो पैर नीला पड़ गया था उसे ठीक किया जा रहा है। बच्चा समय से दो महीने पहले आ गया, इसलिए थोड़ी दिक्कत थी। बच्चे के नाक में नली लगाई गयी है, क्योंकि वह मां का दूध नहीं पी रहा है। -डा. विजय पांडे, बाल रोग विशेषज्ञ