बिजली विभाग का कोई भी कर्मी पहाड़ चढ़ने को तैयार नहीं, तबादलों पर उठे सवाल

देहरादून। बिजली विभाग का कोई भी कर्मी चाहे वह अधिकारी हो या कर्मचारी पहाड़ चढ़ने को कतई तैयार नहीं दिखता। ऊर्जा निगमों में हुए तबादलों पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि कई प्रशिक्षु अधिकारियों की तैनाती कर कर दी गयी है। छह लेखाधिकारियों के तबादले 17 जून को पर्वतीय क्षेत्रों में हुए थे और चार जुलाई को फिर से उन्हें वापस बुला लिया गया।
बिजली विभाग में पुराने अधिकारियों और कर्मचारियों को तो छोड़ो, जिन्हें पहली तैनाती पर्वतीय जिलों में दी गयी थी, उनमें से भी ज्यादातर पहाड़ जाने को तैयार नहीं हैं। इसीलिए यूपीसीएल के प्रबंधन के तबादला आदेशों को बार-बार तब्दीली की जा रही है। पिछले कुछ ट्रांसफर देखें तो साफ पता चलता है कि किस तरह यूपीसीएल प्रबंधन तबादला करने के बाद फिर बैकफुट पर आ जाता है।
17 जून को विदाई और चार जुलाई को घर वापसी
बिजली विभाग ने 17 जून को सात लेखाधिकारियों की पहली तैनाती मुख्यालय से हरिद्वार, रुड़की, हल्द्वानी, रुद्रपुर, श्रीनगर सहित आदि जगहों पर कर दी। यह आदेश लागू भी हो गया, लेकिन फिर सात जुलाई को पूर्व का आदेश निरस्त करते हुए निगम प्रबंधन ने सभी की तैनाती वापस निगम मुख्यालय में कर दी। ये दिल्ली से दौलताबाद की कहानी निगम प्रबंधन ही अच्छी तरह समझ सकता है।
प्रशिक्षु इंजीनियरों को मिली राहत
यूपीसीएल में करीब दो माह का प्रशिक्षण लेकर पहली तैनाती पर जाने वाले प्रशिक्षु इंजीनियरों को भी इन तबादलों में राहत मिलनी शुरू हो गयी है। असिस्टेंट इंजीनियर रोहित चौहान को निगम ने पहले विद्युत वितरण खंड रुद्रप्रयाग भेजा, फिर सात जून को वापस विकासनगर कर दिया। इसी तरह जूनियर इंजीनियर प्रशिक्षु शोभा को पहले श्रीनगर भेजा गया, बाद में उत्तरकाशी भेज दिया गया। जूनियर इंजीनियर प्रशिक्षु विपिन कोठियाल को पहले रुद्रप्रयाग और बाद में ऋषिकेश भेज दिया गया।
लेखाधिकारियों के आदेश गलत हो गये थे। यह जोनल लेवल के हैं, जो कि सर्किल स्तर तक किये गये थे। प्रशिक्षु जो भेजे गये थे, उनकी वहां आवश्यकता नहीं पड़ी। इसलिए उन्हें वापस बुलाकर दूसरी जगह तैनाती दी गयी।
अनिल कुमार, एमडी, यूपीसीएल